सुरेश कुमार तिवारी
कहोबा चौराहा गोंडा। जिले के वजीरगंज क्षेत्र में जब पूरे देश की बहनें रक्षा सूत्र के उमंग में डूबी रहती है, भाई भी रक्षा सूत्र बंधवाकर बहनों को उपहार देने की तैयारी में जुटे हैं। वहीं वजीरगंज विकास खंड की ग्राम पंचायत जगतपुरवा में रक्षाबंधन मनाने की बात तो छोड़िए भाई- बहन के इस पवित्र त्योहार का जिक्र करना भी लोग पसंद नहीं करते। और रक्षा सूत्र से भाइयों की कलाई सूनी रहती है। जगतपुरवा गांव में 25 घर है। 10 घर के लगभग 250 बच्चे, बूढ़े व जवान रक्षा सूत्र का नाम सुनकर ही सिहर उठते हैं। ग्राम पंचायत भीखमपुर के जगतपुरवा के 10 घरों में वर्ष 1955 से बहनों ने अपने भाइयों की कलाई में रक्षा सूत्र नहीं बांधा है। जब-जब बांधी रक्षा सूत्र, घटी अनहोनी
जगतपुरवा ग्राम पंचायत की मुखिया ऊषा मिश्रा के पति सूर्य नरायण मिश्रा, सत्यनारायण मिश्रा, सिद्वनरायण मिश्रा, अयोध्या प्रसाद मिश्रा, दीप नरायण मिश्रा, बाल गोविंद मिश्रा, संतोष मिश्रा, देवनरायण मिश्रा, ध्रुप नरायण मिश्रा और स्वामी नाथ मिश्रा ने बताया कि बहनों ने जब कभी इस 10 घर में रक्षा सूत्र बांधने का प्रयास किया, तब-तब इस गांव में अनहोनी हुई। बकौल सूर्यनरायण मिश्रा बताते हैं कि वर्ष 1955 में रक्षाबंधन के दिन सुबह हमारे परिवार के पूर्वज में एक नौजवान की मौत हो गई थी। तभी से इस गांव में बहनें- भाईयों की कलाई में रक्षा सूत्र नहीं बांधी। एक दशक पूर्व रक्षाबंधन के दिन बहनें रक्षा सूत्र लेकर आई थीं कि उसी दिन बेजुबान पशु की भी मौत हो गई थी।
क्यों नहीं बांधती रक्षा सूत्र
सूर्यनरायण मिश्रा बताते हैं कि ज्यों- ज्यों रक्षा सूत्र का दिन करीब आता है। हमारे गांव व परिवार के लोगों को 1955 का रक्षा सूत्र का दिन याद आते ही बहनें व अन्य लोग सिहर उठते हैं। और रक्षा सूत्र नहीं बंधवाते हैं, बहनें भी रक्षासूत्र बांधने से कांप उठती है।
भाई- बहन निभा रहे परंपरा
भले ही जगतपुरवा गांव में रक्षाबंधन त्योहार नहीं मनाया जाता। आसपास के गांवों में बहनें- भाईयों की कलाई में रक्षा सूत्र बांधती है। फिर भी जगतपुरवा गांव के भाई- बहनों में जरा भी निराशा नहीं है। कहते हैं कि जो बड़ो ने बताया,उसी पर अमल करते हैं। अपने पूर्वजों द्वारा शुरू की गई परंपरा को नहीं तोड़ेंगे। परंपरा को निभाते रहेंगे।
गांव में रहता है सन्नाटा
गांव की प्रधान ऊषा मिश्रा के पति सूर्यनरायण मिश्रा ने बताया कि रक्षा सूत्र के बंधन सिर्फ सुनते हैं, लेकिन उसका आनन्द नहीं उठाते। रक्षाबंधन के दिन अगर ये 10 घर के लोग आसपास के किसी दूसरे गांव में जाते हैं तो सिर्फ जगतपुरवा निवासी कहने पर बहनें रक्षा सूत्र नहीं बांधती। दूसरे को देखकर रक्षा सूत्र में बंधे रहने का मन हर किसी को करता है। लेकिन, गांव की परंपरा की जब याद आती है तो लोग स्वतः ही रक्षा सूत्र नहीं बंधवाते। ग्रामीणों ने बताया कि रक्षा सूत्र के दिन इस गांव के अधिकांश लोग गांव से बाहर नहीं जाते। जगतपुरवा गांव रक्षा सूत्र के दिन सन्नाटा रहता है।