अजीजुद्दीन सिद्दीकी
मनकापुर गोण्डा। महाप्रतापी शूरवीर महाराजा देवी बख्श सिंह ने अपने जनपद की सीमाओं पर कई बार अंग्रेजों की सेनाओं को अपनी तोपों से सरयू नदी में मार-मार कर दफन किया था। अंग्रेजों से आखिरी लड़ाई सन 1857ई० में लमती लोलपुर स्थान पर अंग्रेजों से उनकी हुई महाराजा देवी बख्श सिंह की फौज ने पूरी दम के साथ मुकाबला किया और अंग्रेजी सेना का भारी नुकसान किया।उनके सहयोगियों की गद्दारी की चलते उनके तोपों में बारूद की जगह बुरादा भर दिया गया था। जिसके कारण महाराजा देवी बख्श सिंह को मैदान छोड़ना पड़ा था।और वह अपनी सेना और महारानी के साथ नेपाल चले गए थे। तब अंग्रेजों ने जिगना कोर्ट को तहस नहस किया। पूरे भारत में कब्जा करने के बाद सबसे अंत में गोण्डा पर विजय श्री अंग्रेजों को मिली थी। इससे पता चलता है महाराजा देवी बख्श सिंह कितने शूरवीर और प्रतापी थे।महाराजा की उपाधि उन्हें बेगम हजरत महल ने दी थी। लखनऊ के नवाब ने सनकी खोड़े पर सवारी करने के लिए उन्हें चैलेंज दिया था और वो उस पर सवार हुये तथा उन्होंने पूरे लखनऊ का चक्कर लगाया। जिस पर खुश होकर नवाब ने उन्हें एक सोने की तलवार भेंट की तथा उन्हें बीस राजाओं पर अधिकार दिया था। वह अजान बाहु थे। हर दीपावली में उनके महल पर एक लाख दीपक जला करते थे। आज जिगना कोर्ट में उनका बनवाया शिव मंदिर जिसमे पांच शिवलिंग स्थापित हैं तथा उनका खड़हर और सरकार द्वारा बनवाया गया चिकित्सालय तथा एक विद्यालय है।