Home > पूर्वी उ०प्र० > गोंडा > ईद मिलादुन्नबी 12 वफात

ईद मिलादुन्नबी 12 वफात

मोतीगंज गोंडा | मक्का की पहाड़ी की गुफा, जिसे गार-ए-हिराह कहते हैं, सल्ल. को वहीं पर अल्लाह ने फरिश्तों के सरदार जिब्राइल अलै. के मार्फत पवित्र संदेश सुनाया। 
इस्लाम से पहले पूरा अरब सामाजिक और धार्मिक बिगाड़ का शिकार था। लोग तरह-तरह के बूतों की पूजा करते थे। असंख्य कबीले थे, जिनके अलग-अलग नियम और कानून थे। कमजोर और गरीबों पर जुल्म होते थे और औरतों का जीवन सुरक्षित नहीं था।
आप सल्ल. ने लोगों को एक ईश्वरवाद की शिक्षा दी। अल्लाह की प्रार्थना पर बल दिया, लोगों को पाक-साफ रहने के नियम बताए साथ ही आपने लोगों के जानमाल की सुरक्षा के लिए भी इस्लामिक तरीके लोगों तक पहुंचाए। 
आपने अल्लाह के पवित्र संदेश को लोगों को तक पहुंचाया। आपके द्वारा इस पवित्र संदेश के प्रचार के कारण मक्का के तथाकथित धार्मिक और सामाजिक व्यवस्थापकों को यह पसंद नहीं आया और आपको तरह-तरह से परेशान करना शुरू किया, जिसके कारण आपने सन् 622 में अपने अनुयायियों के साथ मक्का से मदीना के लिए कूच किया। इसे ‘हिजरत’ कहा जाता है।
सन् 630 में पैगंबर साहब ने अपने अनुयायियों के साथ कुफ्फार-ए-मक्का के साथ जंग की, जिसमें अल्लाह ने गैब से अल्लाह और उसके रसूल की मदद फरमाई। इस जंग में इस्लाम के मानने वालों की फतह हुई। इस जंग को जंग-ए-बदर कहते हैं। 
632 ईसवी में हजरत मुहम्मद सल्ल. ने दुनिया से पर्दा कर लिया। उनकी वफात के बाद तक लगभग पूरा अरब इस्लाम के सूत्र में बंध चुका था और आज पूरी दुनिया में उनके बताए तरीके पर जिंदगी गुजारने वाले लोग हैं। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *