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13 विभागों को एक कर सौपी गई एईएस और जेई को दूर भगाने की जिम्मेदारी

संदीप सक्सेना
बलरामपुर । एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिन्ड्रोम (एईएस) और जापानी इंसेफ्लाइटिस यानि दिमागी बुखार ऐसी घातक बीमारी है, जिससे रोगी की मृत्यु भी हो सकती है। यदि रोगी इलाज के बाद ठीक भी हो जाए तो अधिकांश में दिमागी व शारीरिक विकलांगता आ जाती है। जरूरी है कि माइक्रोप्लान बनाकर अधिक से अधिक लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक कर बचाव के बारे में बताया जाए। 10 जून से शुरू हो रहे अभियान में आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता माइक्रोप्लान के तहत घर घर जाकर दस्तक देंगी।
मुख्य विकास अधिकारी अमनदीप डुली ने यह बातें कलेक्ट्रेट सभागर में राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत 10 जून से शुरू होने वाले द्वितीय संचारी रोग नियंत्रण व दस्तक अभियान को सफल बनाने के लिए आयोजित अन्तर्विभागीय समन्वय समिति की बैठक को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि प्रत्येक प्रमुख स्थान पर प्रचार प्रसार के लिए होर्डिंग, बैनर, पोस्टर आदि लगाए जाएं। आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर घर जाकर लोगों के घर दस्तक देकर उनको बीमारी और बचाव के बारे में जागरूक करें। एएनएम टीम के साथ या अकेले निर्धारित लक्ष्य को पूरा करेंगी। इससे दिमागी बुखार सहित अन्य बुखार पर बचाव टीम सीधा वार करेगी ताकि हर परिवार सुरक्षित हो सके। उन्होंने बताया कि दस्तक अभियान के इस दूसरे चरण में आशा बहू 25 जून तक पखवारा समाप्त होने के बाद भी प्रत्येक परिवार की निगरानी करेंगी और बुखार से पीड़ित होने वाले रोगी को तत्काल सीएचसी व पीएचसी पर पहुंचायेगी ताकि उन्हें समुचित इलाज मिल सके। बुखार के मामले में देरी होने पर सम्बंधित जिम्मेदार के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पाये जाने पर दोषी व्यक्ति के विरूद्ध कठोर कार्यवाही की जाएगी। सीडीओ से अभियान से संबंधित सभी अधिकारियों को निर्देश दिये कि 4 जून तक सभी विभाग माइक्रोप्लान बनाकर स्वास्थ्य विभाग भेजें जिससे विभागों में समन्वय स्थापित कर अभियान को सफल बनाया जा सके। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. घनश्याम सिंह ने सभी अधिकारियों को 23 बिंदुओं की गाइडलाइन उपलब्ध करवाते हुए कहा कि इस बार देवीपाटन मंडल को भी इस अभियान में शामिल किया गया है। पूरे यूपी में 32 प्रतिशत एईएस के केस सिर्फ देवी पाटन मंडल में है। इन बीमारियों के लक्षण जेई के जैसे होते है लेकिन पता नही हो पाता कि वो वास्तव में जेई है उन बीमारियों को एईएस श्रेणी में रखा जाता है, इसीलिए ये और भी महत्वपूर्ण हो जाती है कि सभी विभाग एक साथ मिलकर अभियान के तहत संचारी रोगों से मुक्त कराने में सहयोग प्रदान करें।
बैठक के दौरान मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 घनश्याम सिंह, डीडीओ गिरीश चन्द्र पाठक, जिला मलेरिया अधिकारी मंजुला आनंद, डीपीएम शिवेन्द्र मणि, यूनीसेफ रीजनल कोआर्डिनेटर सतीश कुमार, डीआईओएस महेन्द्र कुमार कनौजिया, जिला कार्यक्रम अधिकारी सत्येन्द्र सिंह, जल निगम सहायक अभियंता एम.ए खान, ईओ सदर नगर पालिका राकेश जायसवाल, सुरेश कुमार राणा, ए.के. सिंह, लाल बहादुर, दिलीप, सुधीर व अमरेन्द्र सहित सभी सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के प्रभारी व अधीक्षक मौजूद रहे।
13 विभागों को तैयार करना है माइक्रोप्लान
-चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, नगर पालिका व नगर पंचायत, पंचायती राज विभाग, ग्राम्य विकास विभाग, पशु पालन विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, बेसिक शिक्षा विभाग, माध्यमिक शिक्षा विभाग, द्विव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, समाज कल्याण विभाग, कृषि विभाग, सिंचाई विभाग आदि।

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