इकबाल खान
बलरामपुर। फाइलेरिया बीमारी मुक्त जिला बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कवायद शुरू कर दी है। लोगों को जागरूकता के लिए जिले में फाइलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम आगामी 10 फरवरी से चलाया जायेगा। इसके लिए जिले भर में 1667 टीमें लगाई गई हैं। 2 वर्ष से कम के बच्चे, गर्भवती महिला व अत्यधिक बीमार व्यक्ति को छोडकर जिले की कुल आबादी के 85 प्रतिशत लोगों को यह दवा खिलायी जायेगी। शुक्रवार को सीएमओ कार्यालय में तैयारी की समीक्षा करते हुए डा0 घनश्याम सिंह मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने सभी चिकित्सा अधीक्षक, प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों को माइक्रोप्लान तैयार करने के निर्देश दिये उन्होंने कहा कि एम0डी0ए0 कार्यक्रम में कोई भी कोताही बर्दाश्त नहीं होगी। डा0 ए0के0 पाण्डेय प्रभारी जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि 10 फरवरी से शुरू होने वाले इस अभियान के लिए जनपद स्तर पर ब्लाक प्रोग्राम मैनेजर, ब्लाक कम्युनिटी प्रोसेस मैनेजर को प्रशिक्षित किया गया है। सीएमओं ने बताया कि फाइलेरिया मच्छर जनित रोग है, जो एक विशेष प्रकार के मच्छर क्यूलेक्स फेटिगन्स के काटने से होता है। इसके काटने के 15 दिन बाद बुखार आना तथा कुछ समय बाद शरीर के किसी भी अंग में धीरे धीरे सूजन हो जाता है। जैसे हाथी-पांव (फीलपांव), पैरों में, अंडकोश में, हाथ में और स्तन में स्थायी सूजन का होना फाइलेरिया का लक्षण है। गंभीर रूप से इस रोग से पीड़ित व्यक्ति के पांव में सूजन आती है जिससे वह चलने फिरने में असमर्थ हो जाता है। मुख्यतः इसे फीलपांव या हाथी पांव भी कहा जाता है। डा0 जयन्त कुमार अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि माइक्रो फाइलेरिया को समाप्त करने के लिए डी0ई0सी0 दवा खिलायी जाती है जोकि अलग-अलग आयुवर्ग के हिसाब से निर्धारित है। साथ मेें पेट की कीडे की दवा एल्बेण्डाजाॅल खिलायी जाती है। प्रभारी जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि 10 फरवरी से 14 फरवरी तक टीमें घर घर जाकर फाइलेरिया की दवा खिलायेगी। मुख्य चिकित्सा अधिकारी व प्रभारी जिला मलेरिया अधिकारी लोगों से अपील की है कि इस रोग से मुक्ति पाने हेतु दवा का प्रयोग अवश्य करें और 15 से 23 फरवरी तक माॅपअप राउण्ड भी चलाया जायेगा जिसके तहत पुनः घर घर भ्रमण कार्यक्रम में छूटे हुए लोगों को दवा खिलायी जायेगी।