कानपुर नगर। एक वार्ता के दौरान अधिवक्ता मो0 इमरान ने बताया कि कु0 कैसर जहां एवं उनके साथी सफीउल्लाह गाजी ने अपने निजी स्वार्थ के लिए जिलाधिकारी, कस्टोडियन को भ्रमित करके शाहिद हलीम की सम्पत्तियों को बिना किसी जांच एवं किसी पक्ष को सुने एक गलत आदेश शत्रु सम्पत्ति घोषित कराते हुए अभिरक्षक निष्क्रान्त सम्पत्ति के हक में नामान्तरित करने का आदेश पारित करा लिया था, लेकिन जब शाहिद हलीम ने अपना सही पख रखा तो उन्होने पूर्व पारित आदेश को रिकाल कर यिा और एक सर्कुलर जारी करके पूर्व पारित आदेश शून्य एवं प्रभावहीन ठहराया। कहा सही तथ्य यह है कि शाहिद हलीम के हिस्से में कानपुर में आयी सम्पतितयों के मालिक एसएम बशीर थे जो बैरिस्टर आफ लाॅ के रूप में एक समनित व्यक्ति थे और वह भारत एवं पाकिस्तान के विभाजन के दौरान भारत की नागरिकता स्वीकार कर 1949 के बाद पाकिस्तान नही गये तथा एसएम बशीर विभाजन से पूर्व 1930 से अपनी सम्पत्तियों के स्वामी रहे और अपनी मृत्यु तक भारत के नागरिक रहते हुए यही दफन हो गये तो उनकी सम्पत्ति शत्रु सम्पत्ति कैसे हो गयी। उक्त सम्पत्तिो को पारिवारिक बंटवारे के दौरान अधिवक्ताओं को अवगत कराया और यह भी बताया किउक्त आदेश उच्च न्यायालय में विचाराधीन है तथा स्थगित करके स्टे कर दिया। उक्त स्टे गुलामुईददीन आदि बनाम कस्टोडियन जनरल इवैक्यू तथा केंद्रसरकार कु0 कैसर जहां आदि विपक्षी पार्टिया है। जिलाधिकारी ने लोगों को आश्वस्त किया है कि बिना जांच किये कोई कार्यवाही नही होगी और स्टे के सम्बन्ध में सभी विभागों को काॅपी भेजी जा चुकी है ताकि इस दौरान कोई कानूनी कार्यवाही न की जाये। हरिओम गुप्ता
भ्रमित कर सम्पत्ति हडपने की रची गयी साजिश
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