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विवेक तिवारी हत्याकांड में एफआईआर से हत्यारे पुलिस वालों के नाम गायब

संवाददाता
लखनऊ। राजधानी लखनऊ में एप्पल के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी की हत्या ने पूरे देश में हड़कंप मचा दिया है। वहीं पुलिस भी मामले में लीपापोती करने में लगी है। साफ तौर पर मामले में पुलिस का कार्यशैली पर सवाल उठे हैं। शुक्रवार/शनिवार रात हुए इस हत्याकांड के बाद सना की तरफ से दर्ज की गई एफआईआर में हत्यारे पुलिसकर्मी का नाम तक जिक्र न कर किसी अज्ञात को दोषी ठहराया गया। ऐसे में यह साफ ही पुलिस विभाग दोषी सिपाहियों का बचाने की कोशिश कर रही है। हत्याकांड में पर्दा डालने और आरोपियों को बचाने के लिए पुलिस पर हर चाल चलने का आरोप लगा है। वहीं विवेक को गोली मारे जाने के बाद पुलिस ने परिजनों से तहरीर लेने के बजाए आनन फानन में उनकी सह सहकर्मी सना से ही मन मुताबिक तहरीर लिखवाकर मुकदमा दर्ज कर लिया, जिसमें दोषी पुलिसकर्मी का नाम शामिल नहीं हैं। शनिवार को पुलिसकर्मियों ने तहरीर लिखते वक्त साथियों को बचाने का खूब प्रयास किया है। इसमें उनके घटनास्थल पर मौजूद होने का जिक्र तक नहीं किया गया। हालांकि शनिावर को डीएम कौशलराज शर्मा ने पीड़ित परिवार की तहरीर पर भी केस दर्ज करने का आश्वासन दिया है। और आज रविवार को इस कड़ी में नई एफआईआर दर्ज की जाएगी। परिवार ने इस पर सहमति भी जता दी है, लेकिन इससे पहले हुई एफआईआर में काफी गड़बड़ियां मिली। चश्मदीद और मृतक विवेक तिवारी की सहकर्मी सना उनकी गाड़ी में सवार थी और मीडिया कर्मियों के कैमरे के आगे चीख-चीख कर कह रही थी कि दो पुलिसकर्मी ने इस घटना का अंजाम दिया। अपनी तहरीर दर्ज कराने गोमतीनगर थाने पहुंचे दोषी सिपाही प्रशांत चैधरी भी कुबूल चुका है कि गोली उसके हाथ से ही चली है। लेकिन फिर भी पुलिस मामले को कमजोर करने में लगी रही। मामले को काफी देर तक दबाए रही। मुकदमा भी दर्ज कर लिया और तहरीर सना से ही ली गई, लेकिन उसका मजमून गोमतीनगर थाने के पुलिसकर्मियों ने खुद लिखा। तहरीर में बाइक से दो पुलिसकर्मियों के आने का जिक्र तो किया गया, लेकिन विवेक पर गोली किसने चलाई, इसका हवाला नहीं दिया गया है। परिजनों को जाहिर तौर पर इस बात पर आपत्ति है कि मुकदमा दर्ज करने के लिए पुलिस ने उनसे तहरीर क्यों नहीं ली।उन्होंने आरोप लगाया है कि पुलिस ने ऐसा जानबूझकर किया। ऐसा कर के आरोपियों को ट्रायल के समय मदद मिल सकेगी और मौजूदा समय में मुकदमा दर्ज करवाने वाली सना को आसानी से होस्टाइल कर मामले को कमजोर किया जा सके। वहीं कई और सवाल है जिनके जवाब का सभी को इंतजार है। गोली मारने के बाद दोनों सिपाही क्यों हो गए रफ्फूचक्कर? पुलिस ने पीड़ित के परिजनों को क्यों नहीं बताया कि विवेक की मौत हो गई है? लोहिया अस्पताल में डॉक्टर और पुलिस ने गोली मारे जाने की बात क्यों छुपाई? सिपाही का दावा है कि उसे गाड़ी के अंदर कुछ नहीं दिख रहा, वहीं वह ये भी कहते हैं कि दोनों आपत्तिजनक हालत में थे। जब कुछ दिखा ही नहीं तो आपत्तिजनक हालत की बात कहां सा आई? गिरफ्तारी और जेल जाने के बाद भी आरोपी सिपाही रिपोर्ट दर्ज करवाने थाने कैसे पहुंचा।

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