सीतापुर। मिश्रित सीतापुर / पीड़ित लोगों को न्याय दिलाने के लिए निर्धारित विधि व्यवस्था को दरकिनार करके मिश्रित तहसील में कार्यरत उपजिलाधिकारी अजय कुमार त्रिपाठी मनमानी प्रक्रियाओं से वादों का निस्तारण करने में लगे हुए हैं । जिसको लेकर तहसील के अधिवक्ताओं में जहां आक्रोश व्याप्त है । वहीं पीड़ितों को समुचित रूप से न्याय नहीं मिल पा रहा है । बताते चलें की मिश्रित तहसील में कार्यरत उपजिलाधिकारी नियम और विधि मानकों के विपरीत कार्य करके संचालित मुकदमों की संख्या तो घटाने में लगे हुए हैं । लेकिन उनके इस नियम विपरीत कार्य से आगे की अदालतों में मुकदमों की संख्या और बोझ अवश्य बढ़ेगा । इस बात से कतई इंकार नहीं किया जा सकता हैं । तहसील के अधिवक्ताओं ने जानकारी देते हुए बताया है । कि श्यामू उर्फ शिवराम बनाम जगन्नाथ ग्राम मिर्जापुर उत्तरी परगना मछरेहटा के बटवारा बाद में 1 नवंबर 023 को कुरा पुस्टि हो चुकी है । लेकिन अग्रिम प्रक्रियाऐं ठप्प पड़ी हैं । इसी तरह मुन्नीलाल बनाम रामखेलावन ग्राम धवरपारा व लोहंगपुर की विवादित पूरी जमीन पर मकान बने हुए हैं । मुकदमा वाद विंदु हेतु नियत है । बावजूद इसके मांमले में कुरा दाखिल करा दिए गए हैं । राजेश सिंह बनाम राजेंद्र सिंह आदि ग्राम संदना की पत्रावली जवाब दावा में चल रही है । लेकिन पक्षकारों से बिना जवाब दावा दाखिल कराए ही कुरा दाखिल करा दिए गए हैं । वविता सिंह बनाम सुनीता आदि ग्राम जकरिया हिसामपुर के संचालित हुए वाद में सम्मन वापस ही नहीं लौटे लेकिन मनमानी प्रक्रियाओं के चलते मुकदमे में कुरा दाखिल करा दिए गए हैं । इतना ही नहीं शशिलता बनाम सोहनलाल आदि के संचालित मुकदमे में सम्मन तामीली प्रक्रिया ही पूरी नहीं हो पाई है । जबकि मनमानियों के चलते इस मांमले में भी कुरा दाखिल कराने की औपचारिकता पूरी कर दी गई है । इस तरह से उपजिलाधिकारी की मनमानियों के आगे मुकदमों में नियत विधि प्रक्रिया को पूरी किए बगैर ही पत्रावलियों के साथ खेल किया जा रहा है । जिससे तहसील की न्यायिक विधि व्यवस्था संदेह के घेरे में खड़ी हो गई है । जिसकी तरफ माननीय राजस्व परिषद सहित अन्य संबंधित अग्रिम उच्च न्यायालयों को गंभीरता से पहल करने की आवश्यकता है । ताकि तहसील की न्यायिक व्यवस्था पर लोगों का विश्वास कायम रह सके ।