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कंटेंमेंट जोन में फोन से होगी नवजातों के स्वास्थ्य की देखभाल

नॉन कंटेंमेंट जोन में भी नवजात व प्रसूता को नहीं लगेगा आशा का हाथ
अवध की आवाज सीतापुर

सीतापुर, । कोराेना संकट काल के चलते नवजात और प्रसूताओं की देखभाल और उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा संचालित गृह आधारित नवजात देखभाल (एचबीएनसी) कार्यक्रम के स्वरूप में मामूली बदलाव किया गया है। यह कार्यक्रम कंटेंमेंट और नॉन कंटेंमेंट जोन में संचालित होता रहेगा। लेकिन अब आशा कार्यकर्ताओं को कुछ नियमों का पालन करना होगा। इस संबंध में परिवार कल्याण के महानिदेशक डाॅ. मिथलेश चतुर्वेदी ने नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इस संबंध में उन्होंने सूबे के सभी सीएमओ को पत्र भी लिखा है। अपने पत्र में उन्होेंने साफ किया है कि कंटेंमेंट जोन और नॉन कंटेंमेंट जोन में यह कार्यक्रम अलग-अलग तरीके से चलाया जाएगा।
पत्र के अनुसार कंटेन्मेंट जोन में प्रसूताओं और कम समय में अथवा कम वजन के जन्में नवजातों और घरेलू प्रसव को प्राथमिकता देते हुए गृह आधारित फॉलोअप आशा कार्यकर्ताओं द्वारा फोन के माध्यम से किया जायेगा। इसके अलावा नॉन कंटेंमेंट जोन में आशा द्वारा गृह भ्रमण तो किया जाएगा, लेकिन इस दौरान कोविड-19 के प्रोटोकाल का पूरी तरह से पालन किया जाएगा। आशा द्वारा मास्क पहना जाएगा। साथ ही सोशल डिस्टेंशिंग का पालन करते हुए नवजात, मां, अन्य किसी व्यक्ति अथवा कोई अन्य चीज को नहीं छुआ जाएगा। एचबीएनडी कार्य शुरू करने से पहले और बाद में आशा द्वारा परिवार के सदस्यों के सामने कम से कम 40 सेकेंड तक हाथ धुले जाएंगे। दोनों ही जोन में गृह भ्रमण के दौरान आशा द्वारा बच्चे की सुस्ती, बेहोशी, शरीर के तापमान और स्तनपान के बारे में पूछा जाएगा। यदि बच्चे का जन्म अस्पताल में हुआ है तो जन्म के समय बच्चे के वजन के बारे में जानकारी ली जाएगी। आवश्यकतानुसार आशा द्वारा बच्चे को कपड़े में लपेट कर कंगारू मदर केयर द्वारा गर्म रखने की सलाह देते हुए प्रसूता और परिवारीजन को मां एवं बच्चे में होने वाले खतरों के लक्षणों के बारे में बताया जाएगा। बच्चे को 6 माह तक केवल स्तनपान कराने और परिवार नियोजन के साधनों को अपनाने के बारे में भी सलाह दी जाएगी। बच्चे में यदि किसी भी प्रकार के खतरे का लक्षण पाया जाता है, तो आशा कम्युनिटी प्रोसेस मैनजर (बीसीपीएम) को सूचित कर 102 एंबुलेंस से जिला महिला चिकित्सालय भेजेगी।
इनसेट
क्या कहते हैं सीएमओ —
सीएमओ डॉ. आलोक वर्मा का कहना है कि परिवार कल्याण महानिदेशक का पत्र मिला है। दिशा-निर्देशों की जानकारी सीएचसी अधीक्षकों के माध्यम से आशा कार्यकर्ताओं को दे दी गई है। कोविड-19 के प्रोटोकाल का पालन कराते हुए आशाओं से काम कराया जाएगा।

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