कानपुर नगर | लगभग दो साल पहले हाईकोर्ट के आदेशानुसार पूरे उत्तरप्रदेश में पाॅलीथीन के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसके बाद पाॅलीथीन के खिलाफ एक जंग सी दिखने लगी थी और यह माना जा रहा था कि पाॅलीथीन को पूरी तहर बंद किया जा सकेगा, लेकिन समय बीतने के बाद आज तक पाॅलीथीन का फैक्ट्रियों में निर्माण और बाजारे में उपयोग उसी प्रकार जारी है। बीच-बीच में सम्बन्धित विभागीय छापेमारी कर कार्यवाही मात्र कर लेते है और हालत वैसे ही बने है।
शहर में धडल्ले से पाॅलीथीन का प्रयोग हो रहा है। वह भी पाॅलीथीन बाजार में है जो पूरी तरह प्रतिबन्धित है। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद इस पर लगाम लगाने की कई बार कोशिश करते हुए अभियान भी चलाये गये लेकिन लगभग आज दो वर्ष बीतने के बाद भी कोई फर्क नही पडा है और कारखानो में पाॅलीथीन निर्माण से लेकर थोक बाजार और फुटकर बाजारे में रोड हजारो किलो पाॅलीथीन बन व बिक रही है। शहर में दादानगर, फजलगंज सहित अन्य इलाकों में पाॅलीथीन बैग बनाये जाने के कई कारखाने है जो हजारो किलो पाॅलीथीन का निर्माण रोज करते है। यह पाॅलीथीन कानपुर सहित आस-पास के जनपदो को भी जाती है। कानपुर में अशोकनगर, शक्करपटटी, नयागंज, भूसाटोली पाॅलीथीन बिक्री की बडी मण्डी है जहां नगर के चारो ओर 150 किलोमीटर तक का व्यापारी आकर पाॅलीथीन खरीदता है। हालांकि प्रदूषण नियंत्रण विभाग टीम कभी-कदार सक्रीय हो उठती है। कुछ दिन पहले ही दादा नगर की एक फैक्ट्रि में छापेमारी की गयी थी और वहां मौजूद पाॅलीथीन को जब्त कर कारखाने के संचालक को नोटिस थमा दिया था। लेकिन अभी भी इस ओर कोई ठोस रणनीति नही बनायी जा रही है। शहर की जनता के साथ अधिकारी और राजनेता भी पाॅलीथीन के हानिकारक प्रभावो को जानते है लेकिन पाॅलीथीन बंद कराने के लिए कोई सकारात्मक पहल नही होती। कुछ खास अवसरो पर या पयार्वरण दिवस पर महज खानापूर्ति कर ली जाती है।