बाढ़ प्रभावित गाँव में भी पहुंचने से नहीं हिचकिचाते एम्बुलेंस कर्मी
लखीमपुर। बाढ़ प्रभावित हमारे गाँव में अगर समय से एम्बुलेंस – 102 नहीं आती तो पता नहीं क्या होता। एम्बुलेंस कर्मी तो हमारे लिए भगवान के समान हो गए हैं। यह कहना है पलिया ब्लॉक के खुशीपुर निवासी सत्येन्द्र यादव का। उन्होंने बताया – पत्नी मीरा देवी को प्रसव पीड़ा शुरू हुई। गाँव में निजी वाहन के लिए बात की लेकिन कोई भी इस बाढ़ की स्थिति में अस्पताल जाने के लिए तैयार नहीं हुआ। इस परिस्थिति में यह भूल गया कि आशा कार्यकर्ता गीता ने एम्बुलेंस के बारे में बताया था। गाँव के कुछ अन्य लोगों ने एम्बुलेंस 102 पर कॉल करने की सलाह दी। कॉल करने के 15 मिनट बाद ही एम्बुलेंस पहुँच गई। एम्बुलेंसकर्मियों की वजह से मेरे बच्चे का सुरक्षित जन्म हुआ और आज माँ और बच्चा दोनों सकुशल हैं। सत्येन्द्र की पत्नी मीरा देवी का 19 अक्टूबर को एम्बुलेंस में प्रसव हुआ था।
इमरजेन्सी मेडिकल टेक्नीशियन (ईएमटी) पीयूष मिश्रा बताते हैं – बाढ़ की स्थिति में काम करना मुश्किल होता है लेकिन ऐसे में ही हमारी परीक्षा होती है। खुशीपुर गाँव से फोन आने के 15 मिनट के भीतर हम लाभार्थी के घर पहुंचे तो हमने पाया कि महिला की स्थिति ठीक नहीं है। वह एनीमिया से ग्रसित तो थी ही साथ में उसके गर्भ में बच्चा उल्टा था। तुरंत ही अस्पताल के लिए रवाना हुए लेकिन अस्पताल पहुँचने तक का इंतजार नहीं कर सकते थे। ऐसे में रास्ते में एम्बुलेंस में ही प्रसव कराने का निर्णय लिया। विषम परिस्थितियों में धैर्य न खोते हुए काम को सकुशल करने का प्रशिक्षण दिया गया है। ऐसे में हमने अपने पायलट सुनील कुमार और आशा कार्यकर्ता गीता की मदद से सकुशल बच्चे का जन्म करवाया और फिर उसे सीएचसी पलिया पहुंचाया। आज जच्चा और बच्चा दोनों ही सकुशल हैं।
एम्बुलेंस सेवा के जिला प्रभारी प्रवीण बताते हैं- लगभग 10 दिन पहले नेपाल से 4,61,788 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था जिसकी वजह से जनपद के कई गाँव समेत सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जलमग्न हो गए थे। प्रशासन के आदेश पर बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में 102 और 108 एम्बुलेंस को लगा दिया गया। हम लगातार लोगों को सेवाएं दे रहे हैं। इस माह हमने कुल 10,687 महिलाओं को 102 की सुविधा का लाभ दिया है जबकि 19 अक्टूबर से अभी तक कुल तीन प्रसव बाढ़ग्रस्त इलाके में हमारे ईएमटी द्वारा एम्बुलेंस में सकुशल कराए गए हैं।