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पूर्व की भांति महंगे बिक रहे दिए, कुम्हारों के चेहरो पे भी दिखी मुस्कान

निघासन खीरी। दीपावली पर्व जैसे-जैसे नजदीक आता जाता है उसी प्रकार कुम्हार की चाक का पहिया तेजी से घूमने लगता है। हम सभी जानते है कि दीपावली की रौनक बिन दिया अधूरी रहती है। भले ही रंग-बिरंगी झालरों ने दियों का स्थान ले लिया हो। मगर दियों का क्रेज आज भी कम नही है। साल भर दीपावली त्यौहार का इंतजार करते कुम्हारों को बस यही उम्मीद रहती है की इस बार दीवाली पर दियों की भारी बिक्री कर त्योहार को धूमधाम से मनाएंगे। यही कारण है कि दीपावली पर्व के एक सप्ताह पूर्व से ही बिक्री के लिए कुम्हार मिट्टी के दिये लेकर गांव-गाँव घूमने लगते है। इस बार भीषण बाढ़ ने कुम्हारों के रोजगार पर भी अपना असर छोड़ा है। दीपावली के ठीक पंद्रह दिन पहले आयी भीषण बाढ़ ने कुम्हारों के लिए भी आफत खड़ी कर दी है। हर जगह बाढ़ का पानी भरा होने के चलते कुम्हारों को मिट्टी मिल पाना दूभर हो गया है।
पूर्व की भांति महंगे बिक रहे दिए
कारोबारियों ने बताया कि मिट्टी के दियों के भाव पहले की भांति इस बार महंगे हुए है। भीषण बाढ़ की वजह से मिट्टी नही मिल पा रही है जिसके चलते कुम्हारों को काफी दूर से मिट्टी लाना पड़ रहा है। और दिये कम मात्रा में बन पा रहे है। पूर्व में ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे दियों के भाव 70 से 80 रुपये प्रति सैकड़ा थे मगर इस बार 90 से 100 रुपये प्रति सैकड़ा के भाव बेंचे जा रहे है।

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