Home > अवध क्षेत्र > ईएमटी व पायलट को बेहतरीन काम का मिला इनाम गर्भवती को प्रसव के लिए समय से अस्पताल पहुंचाने के लिए है एम्बुलेंस सेवा-102

ईएमटी व पायलट को बेहतरीन काम का मिला इनाम गर्भवती को प्रसव के लिए समय से अस्पताल पहुंचाने के लिए है एम्बुलेंस सेवा-102

ईएमटी को आपात स्थिति में एम्बुलेंस में ही सुरक्षित प्रसव कराने की दी जाती है ट्रेनिंग
लखीमपुर। गर्भवती को प्रसव के लिए समय से स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाने के लिए जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत 102 एम्बुलेंस की व्यवस्था की गयी है | यह एम्बुलेंस गर्भवती के लिए वरदान साबित हुई है | इस सेवा का लाभ समय से और बेहतरीन तरीके से पहुंचाने में अहम् भूमिका निभाने वाले नकहा ब्लाक के इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन (ईएमटी) पीयूष कुमार व विजय और पायलट सुनील व विजय को कार्यक्रम प्रबंधक प्रवीण द्विवेदी और लोकेशन मैनेजर संजय पांडे ने शनिवार को पुरस्कृत किया |
प्रवीण ने बताया- इन एम्बुलेंस कर्मियों ने एक माह में 318 गर्भवती को समय से अस्पताल पहुंचाकर सुरक्षित प्रसव कराने में अहम भूमिका निभायी है | इन एम्बुलेंस कर्मियों द्वारा आपात स्थिति में एम्बुलेंस में ही सात प्रसव करवाए गए | ईएमटी और पायलट की सूझबूझ से सभी प्रसव सुरक्षित हुए और जच्चा व बच्चा दोनों ही स्वस्थ हैं | गर्भवती को समय से अगर अस्पताल न पहुंचाया जाए तो किसी भी अनहोनी की आशंका बनी रहती है |
ईएमटी पीयूष का कहना है- – हमें आपात परिस्थितियों में एम्बुलेंस में प्रसव कराने आदि के लिए गहन प्रशिक्षण दिया जाता है | हम पायलट के सहयोग से सुरक्षति प्रसव कराते हैं | गर्भवती को कभी – कभी ज्यादा दिक्कत होती है तो ऐसे में हमें उसे एम्बुलेंस में ही प्राथमिक उपचार देना पड़ता है, जिसके लिए हमें मोबाइल पर अपने वरिष्ठ अधिकारियों से सलाह मिलती रहती है | हमारे लिए दिन और रात सभी बराबर होते हैं क्योंकि कभी हमारी ड्यूटी दिन में लगती है और कभी रात में | हमें हमेशा अलर्ट रहना पड़ता है | हमारा एक ही लक्ष्य होता है कि गर्भवती समय से अस्पताल पहुँच जाये और सुरक्षति प्रसव हो | हमारा यही प्रयास है कि हम अपने काम को और बेहतर ढंग से करें |
पालयट सुनील का कहना है – हमारे काम में समय का बहुत महत्व होता है | कंट्रोल रूम से हमें निर्देश मिलने के 15 मिनट के अन्दर गर्भवती के घर तक पहुंचना होता है | गर्भवती को उसके घर से सुरक्षित स्वास्थ्य केंद्र तक पहुँचाना ही हमारा उद्देश्य होता है | इसके बाद यदि हमें दूसरा केस दिया जाता है तो 15 मिनट के अंदर फिर वहां पहुंचना होता है | कभी कभी घर का पता नहीं मिलने पर मोबाइल एप में हमें गाँव की लोकेशन का पता चलता है जिसके माध्यम से हम गर्भवती तक पहुँच जाते हैं | हमें आज यह सम्मान मिला तो हमें ख़ुशी हुयी |

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