लखीमपुर खीरी। बेचारा किसान चारों तरफ की समस्याओं का सामना कर रहा और बेचारा किसान आखिर करे भी तो क्या करे पहले बाढ़ की विभीषिका से धान और गन्ने की फसल चौपट हो गई ,आवारा पशुओं की वजह से रातों की नींद पहले से हराम है अब बची खुची कसर आज बारिश के साथ गिरे ओलों ने लाही की फसल चौपट करके पूरी कर दी।जी हां,यह कटु सत्य है कि आज प्राक्रतिक आपदाओं की वजह से अन्नदाता किसान की कमर पूरी तरह से टूट चुकी है,बेचारा किसान किंकर्तव्यविमूढ़ है किसानों द्वारा जो कुछ कड़ी मेहनत करके बोया बनाया जाता है उसका फल नहीं मिलता। रात दिन जागरण करने के बावजूद।आवारा पशुओ से फसल नहीं बच पाती।पशुओं के अलावा प्रक्रति भी किसानों के प्रति बेरहम हो गई है, पहले प्रलयंकारी बाढ़ की विभीषिका ने किसानों की धान और गन्ने की फसल बर्बाद करके रख दी और अब लाही भी कोहरे और ओलों की वजह से लगभग चौपट हो चुकी है । कुल मिलाकर प्राक्रतिक प्रकोप और सरकारी तंत्र की मानसिक दुर्बलता ने देश के अन्नदाता कहे जाने वाले किसानों की खुशहाली छीनने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी हैl अब केवल देखना यह है कि शासन प्रशासन इन बर्बाद हो चुके किसानों के लिए क्या करता है ।
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