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दृढ़ निश्चय व कठिन परिश्रम दिला रहा विशेष पहचान

प्रतिभाएं अनुकूल परिस्थितियों की मोहताज नहीं होती ,अगर हो हौंसला तो आसमां की उड़ान भी छोटी लगने लगती है

खीमपुर खीरी । उतर प्रदेश के उत्तरांचल में स्थित तराई के जनपद लखीमपुर खीरी का नेपाल राष्ट्र से लगा हुआ बेलरायां तिकुनिया व सिंगाही का क्षेत्र वैसे तो शान्तिप्रिय है। परन्तु विकास उतना ही दूर है। यहाँ से जिला मुख्यालय लगभग 80-90 किमी की दूरी पर स्थित है। इसके कारण प्रमुख समस्याओं के समाधान हेतु क्षेत्रवासियों की परेशानी आम बात है, मामला चाहे अच्छी शिक्षा, चिकित्सा का हो अथवा न्यायिक क्षेत्र का समस्त समस्याएं ऐसी हैं, जिनका समाधान क्षेत्रीय स्तर पर मुमकिन नहीं है। शहरों, नगरों कस्बों में रहने वाले लोगों का समृद्ध, उच्च शिक्षित होना आम बात है। परन्तु यदि कोई प्रतिभा सारी सुख सुविधाओं के अभाव में भी निखर कर आई हो तो निश्चित रूप से प्रोत्साहन आवश्यक है, जिससे समाज में जागरुकता प्रेरणा मिल सके। हम आज बात कर रहे हैं एक ऐसे ही कर्मठ छात्र की, जिसने अपनी मेहनत लगन से न केवल एक अच्छे मुकाम को प्राप्त करने की ओर अग्रसर है, बल्कि अपने परिवार, अपने गाँव को एक पहचान दिलाने में एक और कड़ी के रूप में सामने है। सिंगाही तिकुनिया व बेलरायां से औसतन 09 किमी की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत सिधौना के ग्राम अयोध्या पुरवा के रहने वाले रामसनेही जिनका अब तक का जीवन अत्यंत कठिनाइयों भरा रहा है। उनके पास जीविकोपार्जन हेतु न ही उपयुक्त जमीन और न ही कोई उद्यम ऊपर से अर्द्धायु में ही पत्नी का जीवन से साथ छोड़ देना एक अत्यंत वेदना पूर्ण जीवन की कहानी को बयां करने के लिए काफी है। ऊपर से तीन-तीन बच्चों का लालन-पालन कितना दुष्कर कार्य है? इसकी व्याख्या की आवश्यकता नहीं है। इतनी विषमताओं के बावजूद रामसनेही ने दिन रात मजदूरी करके अपने तीनों बच्चों को शिक्षा दिला रहे हैं। जो वास्तव में प्रेरणादायी है। रामसनेही जी का बड़ा पुत्र नीरज जिसने पंचायत में ही खुले प्राइवेट स्कूल डीएस पब्लिक स्कूल सिधौना जो डीपीजी इण्टर कालेज निघासन से सम्बद्ध है, से शिक्षा ग्रहण करते हुए ससम्मान 77 प्रतिशत अंकों के साथ मैट्रिक उत्तीर्ण किया।
डीपीजी इण्टर कालेज निघासन से इण्टर मीडिएट 74 प्रतिशत अंकों के साथ तथा कला वर्ग का चार वर्षीय पाठ्यक्रम बीएफए का अंतिम वर्ष है। अंतिम सैमेस्टर (एपियरिंग) को छोड़कर अभी तक समस्त सैमेस्टर में ससम्मान 76 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण किया है। इस दौरान विभिन्न कला प्रतियोगिताओं में भाग लेने पर अबतक 16 प्रशस्ति पत्र प्राप्त कर चुका है, जिनमें राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के प्रशस्ति पत्र सम्मिलित हैं। नीरज से बात करने पर उसका हौंसला सातवें आसमान पर दिखाई देता है। वह यहीं ठहरेगा ऐसा लगता नहीं है। अभी आगे एमएफए करने का इरादा है। उसके बाद ही सेवा में आने के लिए प्रयत्न। नीरज ने अपने पिता के सपनों को साकार करने का न केवल खुद बीड़ा उठाया हुआ है, बल्कि अपने छोटे भाइयों को भी प्रेरित करते हुए उच्च शिक्षा दिलाए जाने हेतु अग्रसर है। नीरज ने बात करते हुए रुंधे मन से बताया कि पापा ने अपनी सारी खुशियों की तिलांजलि देकर हम भाइयों को आगे बढ़ाया है। ईश्वर करे हर बच्चे को मेरे पिता जैसे पिता प्राप्त हों।

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