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यूपी के व्यक्ति पर धर्मातरण विरोधी कानून के तहत लगे आरोप, नहीं मिली जमानत

कानपुर। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश विनय कुमार सिंह ने धर्मेंद्र श्रीवास्तव नाम के एक व्यक्ति की जमानत अर्जी खारिज कर दी है, जिस पर उत्तर प्रदेश के धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत पुलिस ने आरोप लगाया था। पीठासीन न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि रिकॉर्ड और सबूतों के अवलोकन से ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपी आवेदक अपनी पत्नी और नाबालिग बेटे पर मुस्लिम धर्म अपनाने का दबाव बना रहा था और इस उद्देश्य से उसने अपनी पत्नी और बेटे को कई बार पीटा था। उनकी पत्नी स्मिता श्रीवास्तव ने अपने बयान में कहा था कि धर्मेंद्र अजमेरी हसन के साथ अजमेर आए थे और टोपी, कुर्ता आदि जैसे कपड़े खरीदे थे। धर्मेंद्र ने अजमेर से लौटने के बाद पत्नी की पिटाई की थी जब उसने मुस्लिम धर्म अपनाने से इनकार कर दिया था। उसने इस बारे में अपने मकान मालिक को सूचित किया था और पुलिस के सामने गवाही दी। जांच अधिकारी ने एक नीले रंग का कुर्ता, काले और सफेद रंग की टोपी और प्लास्टिक की बोतल बरामद की थी, और ज्ञापन में वर्णित किया था कि यह अवैध धर्म परिवर्तन मामले में पकड़ा गया था। रिकॉर्ड और सबूतों के अध्ययन और परिस्थितियों पर विचार करने पर अदालत ने पाया कि आरोपी धर्मेंद्र की जमानत अर्जी खारिज किए जाने योग्य है। अतिरिक्त जिला सरकारी वकील, शिव भगवान के अनुसार, मामले की शिकायतकर्ता स्मिता श्रीवास्तव के पिता ने कहा कि उन्होंने मार्च 2015 में कल्याणपुर क्षेत्र के धर्मेंद्र श्रीवास्तव से अपनी बेटी की शादी हिंदू रीति-रिवाजों से की थी। दंपति का एक पांच साल का बेटा है। धर्मेंद्र की गतिविधियां पिछले दो साल से संदिग्ध थी, और उसने स्मिता को पीटना शुरू कर दिया था। एक दिन वह हरे कपड़े में लिपटी एक किताब ले आया और उससे कहा कि वह उसे न छुए। वह मुस्लिम धर्म अपना रहा था और उसने स्मिता को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया, लेकिन उसने मना कर दिया। जनवरी में, उसने फिर से स्मिता को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया और उसे मारने का एक असफल प्रयास किया था। एडीजीसी ने कहा कि इस बार मकान मालिक ने पुलिस को सूचित किया और धर्मेंद्र को गिरफ्तार कर लिया गया था। धर्मेंद्र ने अपनी जमानत अर्जी में दावा किया कि उसके ससुराल वाले उसके वैवाहिक जीवन में अनुचित हस्तक्षेप कर रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप विवाद हो रहा है। उन्होंने कहा कि न तो उन्होंने मुस्लिम धर्म अपनाया था और न ही अपनी पत्नी और बेटे को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया था।

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