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टीबी चैम्पियन सीधे टीबी मरीजों से कर रहे संवाद

स्वास्थ्य विभाग स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से चला रहा परियोजना
हरदोई। साल 2025 तक क्षय (टीबी) उन्मूलन सरकार की प्राथमिकता है और विभाग लगातार कोई न कोई प्रयास कर रहा है। इसी क्रम में एचसीएल फाउंडेशन और रीच संस्था के सहयोग से दो ब्लॉक अहिरौरी एवं संडीला में जनवरी माह से “टीबी एलिमिनेशन एवं डिमॉन्सट्रेशन प्रोजेक्ट चल रहा है। यह जानकारी जिला क्षय रोग अधिकारी डा. शरद वैश्य ने दी।
जिल क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि क्षय रोग सम्बन्धी भ्रांतियों को दूर करने, टीबी की दवाओं का नियमित सेवन करने एवं मरीजों को पोषण एवं भावनात्मक सहयोग देने के उद्देश्य से दो ब्लॉक में यह प्रोजेक्ट सितंबर तक चलेगा। यदि यह सफल रहता है जनपद के अन्य ब्लॉक में भी इसका विस्तार किया जाएगा। प्रोजेक्ट के तहत अहिरौरी एवं संडीला में आठ-आठ टीबी चैम्पियन बनाए गये हैं जिसमे चार महिला एवं चार पुरुष हैं। टीबी चैम्पियन चॅम्पियन वह हैं जो टीबी से पूरी तरह ठीक हो चुके हैं। वह टीबी मरीजों के घर जाते हैं और टीबी मरीज तथा उनके परिवार की काउंसलिंग करते हैं। टीबी चैम्पियन द्वारा गृह भ्रमण टीबी मरीज का इलाज पूरा होने तक हर माह किया जाता है। इस तरह से टीबी चैम्पियन द्वारा लगभग कम से कम छह बार टीबी मरीज के घर जाना होता है। इसके आलावा इसके बाद भी टीबी मरीज को कोई समस्या होती है तो वह फोन पर भी टीबी चैम्पियन से बात कर सकते हैं। टीबी चैम्पियन टीबी मरीजों को टीबी संबंधी सभी जानकारियाँ देने के साथ ही अपनी आपबीती सुनाते हैं, उनकी भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास करते हैं और टीबी की दवाओं का नियमित सेवन करने के लिए भी प्रेरित करते हैं। इसके साथ ही हर सप्ताह ब्लॉक के विभिन्न गांवों में सामुदायिक बैठक कर भी लोगों को जागरूक कर रहे हैं। इन 16 टीबी चैम्पियन के पास अभी कुल 500 टीबी मरीज हैं। अभी तक 300 सामुदायिक बैठकों का आयोजन कर लोगों को जागरूक किया जा चुका है।
डा. शरद वैश्य बताते हैं कि टीबी यूनिट के लोग और आशा कार्यकर्ता टीबी मरीजों की काउंसलिंग तो करते हैं लेकिन जब कोई ऐसा व्यक्ति जो खुद इस समस्या से गुजर चुका हो वह अपनी आपबीती सुनाता है तो उसका प्रभाव ही अलग होता है। इसी को ध्यान में रखते हुए यह प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। इसके साथ ही संस्था द्वारा जनवरी माह से टीबी मरीजों को इलाज के दौरान प्रति माह पोषण पोटली दी जा रही है। वर्तमान में 606 टीबी मरीजों को पोषण पोटली दी जा रही है जिसमें सरसों का तेल, प्रोटीनयुक्त सोयाबीन ,खजूर, मूंगफली, चना आदि खाद्य सामग्री होती है। टीबी के इलाज में प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थ और नियमित रूप से दवाओं का सेवन महत्वपूर्ण हैं। इसी क्रम में सरकार द्वारा निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज के दौरान टीबी मरीज को हर माह 500 रुपये सीधे खाते में दिए जाते हैं।
“टीबी एलिमिनेशन एवं डिमॉन्सट्रेशन प्रोजेक्ट के रीच संस्था के डिस्ट्रिक्ट लीड राजन सुनील नायर और निगरानी एवं मूल्यांकन अधिकारी युनुस खान का कहना है की देश से क्षय उन्मूलन तभी सम्भव है जब समाज के सभी लोग अपनी जिम्मेदारी समझें और विभाग का सहयोग करें।
अहिरौरी निवासी 23 वर्षीय टीबी चैम्पियन विजयपाल बताते हैं कि साल 2021 के अंत में फेफड़ों की टीबी हुई थी लगभग छह माह टीबी का इलाज चला था। मैं इस रोग से पूरी तरह ठीक हो चुका हूँ। इलाज के दौरान जिन समस्याओं का सामना मैनें किया मैं नहीं चाहता कि अन्य कोई करे। इसलिए जब मुझसे टीबी चैम्पियन बनने के लिए कहा गया तो मैं तुरंत ही तैयार हो गया। अभी मैं लगभग 45 टीबी मरीजों के साथ काम कर रहा हूँ और लगभग पाँच मरीज ठीक हो चुके हैं।

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