हरिओम गुप्ता
कानपुर नगर। नगर निगम के अधिकारियों की लापरवाही के कारण शहर भर में जगह-जगह लगे कूडे के ढेर ग्रीन कानपुर-क्लीन कानपुर के सपने को फेल कर रहे है। स्वच्छता मिशन के नाम पर चलाए जा रहे तमाम अभियानों को शहर के बीचो-बीच कूउे के ढेर मुंह चिढा रहे है। कितनी ही योजनाये बनायी गयी लेकिन सब धराशायी हो गयी। आवारा मवेशी कूडा बीच सडको पर बिखरा रहे है। इन्हे पकडने की ही सफल कोशिश निगम द्वारा इमानदारी से कभी नही की गयी। ऐसे में शहर में संक्रामक बीमारियों का खतरा बढता जा रहा है। विभाग के जिम्मेदार अकिधारी शहर के ऐसे नजारो से वाकिफ भी है लेकिन सभी जिम्मेदार आंखे मूंदे बठै है और शहरी बेहाल है।
मौजूदा समय में ये जिममेदार सरकार को झूठी रिर्पोट देकर अपनी पीठ थपथपाते है और सरकारी धन का दुर्पययोग करते है। शासन स्तर पर हकीकत न पहुंचने से इनपर कोई कार्यवाही भी नही हो रही है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब भारत स्वच्छता मिशन की शुरूआत की तो अपने शहर के अधिकारियों ने भी मिशन को सफल बनाने के लिए जमकर ढिंढोरा पीटा। कुछ दिनों तक कुछ विशेष इलाकों में साफ-सफाई अभियान चलाकर खाना पूरी भी की गयी। स्वच्छता मिशन के नाम पर सरकारी खजाने के करोडा रूपए में पलीता लगा दिया गया। शहरवासियों को महसूस हुआ कि शायद अब अपना शहर भी साफ-सुथरा नजर आने लगे लेकिन कुछ ही दिनो बाद सब टांय-टांय फिस हो गया। अब शहर पहले से अधिक गंदा है। नालियां बजबजा रही है। जगह जगह जल भराव है, कूडे का सही समय पर उठान नही हो पा रहा है। हर क्षेत्र में सडकों पर कूडा डंप है। सफाई कर्मी ढंग से काम नही कर रहे है और अधिकारी आराम कर रहे है। ऐसे में कई इलाकों को बीमारियों ने अपनी चपेट में ले लिया है। उायरिया, संक्रामक बीमारिया लोगों को जकड चुकी है। गंदगी स्वच्छता मिशन को आईना दिखा रही है। अधिकारियों को सब जानकारी है लेकिन लापरवाही और मक्कारी का आलम यह कि समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित हो रही खबरो के बावजूद काम नही किया जा रहा और न ही इन अधिकारियों को शासन का कोई भय है।