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बजट के आभाव में जेके कैंसर संस्थान

कानपुर नगर | वर्तमान में कैंसर को एक लाइलाज रोग माना जाता है। शुरूआती लक्षणो के बाद सही समय पर उपचार होने से इसपर कंट्रोल करने की संभावना होती है लेकिन बढने के बाद यह लाइलाज मर्ज इंसान की जान ले लेता है। मौजूदा हालात यह है कि शहर में कैंसर के मरीजों की संख्या में तेजी से बढोततरी हुई है, शहर के राजकीय जेके कैन्सर संस्थान में कैंसर के मरीजों की जहां भरमार है तो वहीं यह पर्याप्त दवाओं को जांच के इंतजाम नही है। ऐसे गंभीर रोग पर शासन द्वारा इलाज को मिलने वाली निधी में लगातार कटौती की जा रही है। हालत यह कि संस्थान स्वयं दवाओं व जांच का प्रबंध करता है और ऐसे में वह कर्जीदार तक हो गया है।
शहर में कैंसर के रोगियों की संख्या लगातार बढती जा रही है। जेके कैंसर संस्थान में हर दिन रोगी आते है लेकिन यहां पर सुविधाओं का आकाल है। वही शासन से मिलने वाली राशि भी कम हो गयी है, ऐसे में दवाओं का स्तर मेनटेन रखने और जांचो को कराने में अब समस्या खडी हो गयी है। बताते चले कि जेके कैंसर संस्थान पूरे प्रदेश का एक मात्र ऐसा कैंसर रोग का संस्थान है जहां कैंसर से सम्बन्धित सभी बीमारियों का इलाज किया जाता है। यहां आने वाले रोगियों और व्यवस्थाओं को देखते हुए यहां का बजट काफी कम है। शासन द्वारा जो बजट यहां पर दिया जाता है उसमें कभी भी बढोत्तरी नही हुई है। सपा सरकार में एक करोड रू0 यहां के लिए आवंटित किये गये थे जिससे मरीजो को कई सुवाधा मुहैया करायी गयी थी साथ ही रोडियोडायग्नोस्टिक जांचे की जा रही है लेकिन उसके बाद बजट में कटौती कर दी गयी जो और कम होती गयी वहीं मिलने वाली राशि अब पर्याप्त नही है ऐसे में कुछ संस्थानों द्वार दिये गये दान पर जेके कैंसर पर काम चल रहा है तो वहीं संस्थान स्वयं भी कर्जदार हो चुका है। इस सम्बन्ध में बताया जाता है दवा की पूर्ति नही हो पा रही है जिससे मरीजों के इलाज में दिक्कत का सामना करना पड रहा है।

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