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बजट से विश्वविद्यालय कर्मचारियों को हुई घोर निराशा।

अम्बिकानन्द त्रिपाठी
अयोध्या। उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा आज प्रस्तुत किये गए बजट से विश्वविद्यालय कर्मचारियों को घोर निराशा हुई।सरकार द्वारा पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी उत्तर प्रदेश के राज्यविश्वविद्यालयों के लिए अपेक्षित आर्थिक पैकेज की घोषणा नहीं की गई। एक तरफ किसी भी राष्ट्र के नव निर्माण का दायित्व युवाओं पर निर्भर करता हैं वहीं उनके उन्नयन व सर्वांगीण विकास की दृष्टि से राज्य में स्थापित विश्वविद्यालयों के पास समुचित संसाधन न होना यह उस राज्य के विकास में बाधक भी है। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय ,महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ हो या लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ आज इनके पास इतना धन नहीं है कि कर्मचारियों, शिक्षकों को वेतन देने के साथ साथ छात्र हित में दूरगामी दृष्टि से कोई परियोजना का निर्माण कर सकें। सरकार से बहुत अपेक्षाएं थी कि नवीन शिक्षा नीति 2020 को धरातल पर पूर्ण रूप से लागू करने के लिए राज्यविश्वविद्यालयों को एक बड़ा पैकेज देती। वहीं विश्वविद्यालय शिक्षकों, कर्मचारियों को भी राज्य कर्मचारियों की भांति चिकित्सा सुविधा प्रदान किये जाने संबंधी संकल्प पूर्व में ही कुलपति सम्मेलन लिए जाने के बाद भी उस पर सरकार का मत प्रस्तुत न होना कर्मचारियों में घोर निराशा हुई है। पुरानी पेंशन हो या रुके हुए भक्तों को लागू करने के लिए भी सरकार ने अपने बजट में कोई उल्लेख नहीं किया। अंततः कर्मचारियों के लिए यह बजट संभावनाओं से परे रहा ।

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