अम्बिकानन्द त्रिपाठी ‘
अयोध्या । कहने को राम की नगरी अयोध्या में लगभग 6 हजार मंदिर हैं लेकिन हर मंदिर का अपना -अपना अलग महत्व है | लेकिन कुछ त्यौहार एेसे भी है जिसका सीधा सम्बन्ध भगवान राम से है एेसे ही अयोध्या में श्रृंगार हाट मुहल्ले में स्थित भगवान मत्गजेन्द्र जी का मंदिर है जिन्हें अयोध्या का कोतवाल के रुप में पूजा जाता है | इस मंदिर को राजा बिक्रमादित्य ने चैत्र मास में पड़ने वाली होली के बाद पहले मंगलवार को पुनर्स्थापना की थी तभी से प्रत्येक वर्ष होली के बाद पड़ने वाले पहले मंगलवार को यहां पर बहुत बड़ा मेला लगता है | इस दिन भगवान मत्गजेन्द्र जी को खासकर हरे चने का भोग लगाया जाता है मेले में हर तरह की दुकाने लगती हैं दूर -दूर से भक्त इस दिन भगवान मत्गजेन्द्र के दर्शन करने के लिए आते हैं |
इस मंदिर की खास बात है कि यह मंदिर जो लंकापति रावण के भाई रामभक्त विभीषण के पुत्र मत्गजेन्द्र जी की है | इस मंदिर का जीर्णोद्धार सन 2004 में महान्त श्री नरहरि दास ने कराया है महान्त श्री नरहरि दास जी के अनुसार यह मंदिर पौराणिक है
इस मंदिर की मान्यता है कि जो अयोध्या में आता है अौर इस मंदिर का दर्शन करता है उसको अयोध्या आने का पुण्य मिलता है | कहते हैं कि जब भगवान श्रीराम लंका विजय प्राप्त करके सभी वानरो सहित अयोध्या के लिए चले थे तो भगवान को पहुंचाने के लिए लंका के राजा रावण के भाई विभीषण अपने पूरे परिवार के साथ अयोध्या आये थे अौर चार महीने तक भगवान श्रीराम की सेवा की थी | जब विभीषण को अयोध्या से विदा किया गया तो विभीषण ने अपने पुत्र मत्गजेन्द्र को भगवान की सेवा के लिए अयोध्या में ही रहने को कहा था , अौर तभी से भगवान श्रीराम की सेवा हनुमान जी अौर मत्गजेन्द्र महाराज ने 11हजार वर्ष तक किया था | उसके बाद जब भगवान राम अयोध्या छोड़ कर जाने लगे तो हनुमान जी को अयोध्या का राजा और भगवान मत्गजेन्द्र को अयोध्या की सुरक्षा के लिए कोतवाल बना दिया | अौर कहा कि जो भी अयोध्या आएगा यदि भगवान मत्गजेन्द्र का दर्शन नहीं करेगा उसको अयोध्या आने का फल नहीं प्राप्त होगा तभी से यह स्थान भगवान मत्गजेन्द्र के नाम से प्रसिद्ध है | मंदिर के महान्त श्री नरहरि दास जी महाराज व पुजारी श्री राम जनम उर्फ प्रकाश जी ने कहा कि आज के दिन सुबह से ही भक्तों का आना शुरु हो जाता है और देर रात तक चलता रहता है |इस मेले में तरह -तरह के बच्चों के झूले लगते हैं जिससे मेला बच्चों के लिए अौर भी आनन्दायक हो जाता है |