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श्रम कानूनों को लेकर आरएसएस से जुड़ा भारतीय मजदूर संघ के समर्थन के लिये राष्ट्रीय सचिव ने दिया भरोसा

मनकापुर गोंडा। श्रम कानूनों को लेकर संशोधन विधेयक पर भारतीय जनता पार्टी के अनुषांगिक के राष्ट्रीय सचिव सर्वेश पाठक ने मजदूरों के संशोधन विधेयक पर अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि यूपी, एमपी और गुजरात सरकार ने जो विधेयक में संशोधन किया है उससे मजदूरों का हनन होगा
उन्होंने कहा कि श्रम कानूनों के उल्लंघन के कारण पहले से ही मजदूर संकट में चल रहे हैं। ऐसे में श्रम कानूनों को पूरी तरह से हटा देने या उनमें ढील देने से मजदूरों का शोषण और बढ़ेगा। संघ ने कहा कि 20 मई को जो राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन के लिये भारतीय मजदूर संघ ने जो आंदोलन के लिए चेतावनी दी है। उसका समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि वह अपने समस्त जनपदों के जिला अध्यक्षों को प्रदेश अध्यक्ष अशोक सिंह के माध्यम से मजदूरों के समर्थन में विरोध जताने के लिए आग्रह किया इसी क्रम में प्रदेश उपाध्यक्ष अनुराग पाठक ने संचालन करते हुए। कहां कि मजदूरों के हितों के लिए वह निरंतर कार्य करते रहेंगे मनीष मिश्र प्रदेश महामंत्री में जिम्मेदारी लिया कि सभी उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों मजदूरों के समर्थन हम हमारे कार्यकता समर्थन करेगें बीजेपी की उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात सरकारों द्वारा श्रम कानूनों को रद्द किये जाने को लेकर प्रदेश संगठन में ही विरोध के स्वर तेज हो गए हैं। उन्होंने बताया कि हमारे राष्ट्रीय सचिव सर्वेश पाठक राष्ट्रीय जनहित कामगार कर्मचारी महासंघ भाजपा प्रणित से जुड़े भारतीय मजदूर ने कई राज्य सारकारों द्वारा श्रम कानूनों को हटाने या उन्हें कमजोर किए जाने के विरोध में 20 मई को देश भर में प्रदर्शन करने का फैसला किया है। खास बात है कि यह विरोध प्रदर्शन बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात में श्रम कानूनों को पूरी तरह से हटा दिए जाने के विरोध में हो रहा है।
राष्ट्रीय जनहित कामगार कर्मचारी महासंघ भाजपा प्रणित के राष्ट्रीय सचिव सर्ववेश पाठक ने कहा कि 13 मई को संगठन की बैठक में कई राज्य सरकारों की ओर से उठाए गए श्रमिक विरोधी कदमों का विरोध करने का फैसला हुआ है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात की राज्य सरकारों ने सभी श्रम कानूनों को हटा दिया है। जबकि राजस्थान, महाराष्ट्र, गोवा और ओडिशा ने काम के घंटे आठ से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिए हैं। श्री पाठक ने कहा कि इन सरकारों के इस निर्णय के बाद अब अन्य सरकारें भी श्रमिक विरोधी फैसलों के लिए प्रेरित होंगी उन्होंने कहा कि राज्य मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर भेंट के लिये समय मांगा है जिसमे अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ मुख्यमंत्री से मुलाकात करके सबसे पहले अपने विषय को संसोधन के लिये रखेंगे अगर मुख्यमंत्री ने स्वीकृति नही दिया तो वह मजदूरों की समस्याओं लेकर जिला प्रशासन को ज्ञापन दिया जाएगा उन्होंने आग्रह की की 20 मई को जिला मुख्यालयों पर राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन होगा उन्होंने कहा कि श्रम कानूनों के उल्लंघन के कारण पहले से ही मजदूर संकट में चल रहे हैं। ऐसे में कानूनों को पूरी तरह से हटा देने या उनमें ढील देने से मजदूरों का और शोषण होगा।

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