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सरकारी नौकरी की चाहत में बेटे ने पिता को कुल्हाड़ी से काटा

सरकारी स्कूल में चपरासी के पद पर कर रहे थे नौकरी, 2020 में होना था सेवानिवृत्त, इसी वजह से कलयुगी बेटे ने दोस्त के साथ मिलकर कर दी हत्या।
कानपुर। कलयुगी बेटे सरकार नौकरी पाने के चलते दोस्त के साथ मिलकर अपने पिता की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज अज्ञात लोगों पर मुकदमा दर्ज कर जांच पड़ताल शुरू की। इंस्पेक्टर तुलसीराम पांडेय ने सटीक सूचना पर एक युवक को दबोचा। पूछताछ के दौरान उसने हत्याकांड का खुलासा कर दिया। पलिस ने आरोपी बेटे को गिरफ्तार कर उसके पास से वारदात में प्रयुक्त कुल्हाड़ी भी पुलिस ने बरामद कर ली। रसूलाबाद थानाक्षेत्र के भौथरी निवासी रामपाल यादव (59) कहिंजरी के आरबीएस उच्चतर माध्यमिक स्कूल में चपरासी था। रात में रखवाली के लिए वह कालेज में ही रुकता था। 14 नवंबर की रात भी वह स्कूल में ही रुका था, तभी उसकी धारदार हथियार से हत्या कर दी गई थी। मामले में रामपाल के छोटे बेटे नरवीर ने अज्ञात लोगों पर हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। हत्यकांड का खुलासा करते हुए एसपी अनुराग वत्स ने बताया कि रामपाल के दो बेटे हैं। सबसे बड़ा बेटा पूरन दिब्यांग हैं, वहीं छोटा नरवीर प्राईवेट नौकरी करता है। एसपी के मुताबिक पूरन अपने दोस्त महेश के साथ मिलकर सरकारी नौकरी के लालच में पिता की हत्या कर दी। उसे उम्मीद थी कि दिब्यांग होने के कारण कोई उस पर शक नहीं करेगा और बड़ा बेटा होने के चलते स्कूल में सरकारी नौकरी मिल जाएगी। एसपी के मुताबिक दीपावली के पहले रामपाल ने नरवीर को 62 हजार रुपये दिए थे। दीपावाली के बाद पूरन दोस्त सडनपुर के महेश कुमार के साथ जाकर पांच सौ रुपये मांगे थे। तब रामपाल ने उसे गाली देकर भगा दिया था। इससे पूरन नाराज था। पूरन ने दोस्त महेश को घर बुलाया और पिता की हत्या का साजिश रची। पूरन ने महेश को नौकरी मिलने के बाद पैसे का लालच दिया और वह वारदात को अंजाम देने के लिए राजी हो गया। पूरन ने दोस्त को घर बुलाया और दोनों ने शराब पी। फिर दोनों रात में विद्यालय पहुंचे और सो रहे पिता पर कुल्हाड़ी से हमला कर मौत के घाट उतार दिया।
वारदात के बाद एसपी अनुराग वत्स व एएसपी अनूप कुमार मौके पर पहुंचे थे। दोनों अफसरों ने घटना के बारे रामपाल के दोनों बेटों से पूछताछ की थी। हत्यारों का सुराग लगाने के लिए खोजी कुत्ता बुलाया गया था। तब पूरन मौके से खिसक गया था। इस पर भी वह अफसरों की नजर में चढ़ गया था। इंस्पेक्टर तुलीराम पांडेय अपनी टीम के साथ पूरन पर नजर रखने लगे। पुलिस ने सोमवार की सुबह महेश को गिरफ्तार कर लिया और कड़ाई से पूछताछ के दौरान उसने हत्याकांड का खुलासा कर दिया। पुलिस ने आरोपी बेटे पूरना को भी दबोच लिया। एसपी ने बताया कि दिब्यांग होने के कारण पूरन अविवाहित था और घर से अलग झोपड़ी डालकर रहता था। पेट भरने के लिए पूरन बकरियां रखे हुए था। पिता की हत्या के मुख्य आरोपी पूरन की महेश कुमार से गहरी दोस्ती है। वह अक्सर महेश के घर में ही रुकता था। दोनो बकरी पालन करते थे। साथ मिलकर बकरियां चराते थे। घटना से वाले दिन पूरन सुबह 7 बजे ही महेश के घर पहुंच गया था। पहले दोपहर में शराब पी थी। इसके बाद दोबारा कहिंजरी जाकर शराब और मीट लेकर आए थे। मीट बनाने खाने के दौरान दोनों ने शराब पी थी। गांववालों ने भी हत्या के पीछे पूरन का हाथ मान रहे थे। पूरन ने पुलिस की पूछताछ के दौरान बताया कि महेश के साथ मिलकर अच्छा जीवन जीने के सपने देख रहा था। पूरन का पिता रामपाल सहायता प्राप्त स्कूल में चपरासी था। वह अगले वर्ष सेवानिवृत्त होने वाले था। पूरन ने महेश के साथ साजिश रची थी कि अगर वह पिता की हत्या कर देगा, तो उसे उनकी जगह सरकारी नौकरी भी मिल सकती है। इससे जीवन का गुजारा आराम से होने लगेगा। उसे लगा था कि पिता की हत्या के बाद गांव के लोगों की उसके प्रति सहानुभूति होगी। लोगों के कहने पर दिव्यांग होने की वजह से उसे नौकरी मिल जाएगी।

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