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बलिया ददरी मेला को राष्ट्रीय मेले का दर्जा दिलाने के लिए पर्यटन राज्य मंत्री के.जे. अल्फोंस से मिले सांसद: भरत सिंह

रिपोर्ट–विवेक जायसवाल

बलिया।सांसद भरत सिंह ने बलिया के एतिहासिक ददरी मेला को राष्ट्रीय मेले का दर्जा दिलाने के लिए भारत सरकार के पर्यटन राज्य मंत्री श्री के.जे. अल्फोंस से नई दिल्ली में उनके आवास पर मिले ,सांसद भरत सिंह ने पर्यटन राज्य मंत्री से बलिया के ऐतिहासिक ददरी मेला को राष्ट्रिय स्तर के मेले की मान्यता देने की बात कही |  साथ ही बलिया के धार्मिक मान्यता के केन्द्र भृगु आश्रम , पराशर मुनि आश्रम , खपड़िया बाबा आश्रम, नरहरी बाबा के स्थान के पर्यटन की दृष्टि से विकास के लिए बाते की मंत्री ने सकरात्मक पफल करते हुए अपने सचिव स्तर के अधिकारी से इस कार्यावाही के लिए तत्काल आदेश दिए है | सांसद ने मंत्री को अवगत कराते हुए पत्रक के माध्यम से अवगत कराया कि, बलिया महादानी राजा बलि की राजधानी थी | बालि ने जिस स्थान पर यज्ञ किया वही स्थान बलिया है | इसी धरती पर भगवान विष्णु का बावन अवतार हुआ था | ब्रम्हा जी के मानस पुत्र महर्षि भृगु ने बलिया में तप किया था | विश्व में महर्षि भृगु का एकमात्र मन्दिर भृगु आश्रम बलिया में ही है | यही महर्षि भृगु के शिष्य दर्दर ने प्राचीन काल में बहुत बड़ा यज्ञ किया था | महर्षि दर्दर के नाम पर ही बलिया में कार्तिक मॉस में ददरी मेले का आयोजन होता है | जो भारत में दूसरा सबसे बड़ा पशु मेला है | ददरी मेला का प्रमाण सैकड़ो वर्ष पूर्व मुगल काल में भी मिलता है | अकबर के समयाकालीन इस मेले के लिखित प्रमाण है [ फिर यह मेला आज तक राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त नही कर पाया है | वेदों में उलेखित कार्तिक मॉस के पवित्र पूर्णिमा स्नान के बाद बलिया में ददरी मेला का आयोजन होता है | जिसमे देश के कोने कोने से व्यापारी आते है | पूर्वांचल का एक बड़ा समूह ददरी के पशु मेले एवं मीना बाजार में एक माह तक आता है | फिर भी इतने बड़े और एतिझासिक और धार्मिक महत्व के आयोजन को राष्ट्रीय स्तर पहचान नही मिल पाई है | बलिया ऐतिहासिक ,धार्मिक धरती है | यह धरती भृगु, पराशर ,दर्दर ,वाल्मीकि आदि जैसे संत महात्माओं,आजादी के प्रथम नायक मंगल पाण्डेय सम्पूर्ण क्रान्ति के नायक लोकनायक जय प्रकाश नारायण, पूर्व प्रधानमन्त्री चन्द्रशेखर की धरती है ,आजादी के संघर्ष के दिनों में बलिया ने अग्रिणी भूमिका निभाई थी | बलिया 1942 में सतारा ,मेदिनापुर के साथ बलिया भी अगस्त क्रान्ति में आजाद रहा था | लेकिन इसके गरिमा केअनुरूप यहा विकास नही हो पाया है | बलिया में एतिहासक एवं धार्मिक दृष्टि से बहुत से महत्व की के स्थान है जिनको राष्ट्रीय स्तर पहचान देने की आवश्यकता है | जिससे बलिया का पर्यटनकेविकास को बढ़ावा मिलेगा | सांसद भरत सिंह के साथ अरुण सिंह बंटू ,धर्मेन्द्र सिंह ,आदि लोग साथ थे |

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