तरुण जयसवाल
लखनऊ। शहर में कल 8 सितंबर शाम 6:45 बजे से कैसरबाग स्थित राय उमानाथ बाली प्रेक्षागृह में लखनऊ के कलाकारों द्वारा हिंदी नाटक का मंचन हुआ । उत्तर प्रदेश रंग महोत्सव के अंतर्गत संस्था विजय बेला एक कदम खुशियों की ओर द्वारा कार्यक्रम गड़बड़झाला जिसमे पुस्तैनी धंधा लेखक चंद्र भाष व सह निर्देशक माधुरी सिंह और नाटक हवालात लेखक सर्वेश्वर दयाल सक्सेना व सह निर्देशक पुष्कर आहूजा द्वारा नाटक का मंचन हुआ । नाटक में बेरोजगारी को लेकर युवा सिस्टम,वर्तमान सरकार, पूर्ववर्ती सरकारे सभी को दोषी बताया गया है।
नाटक पुश्तैनी धंधा में दर्शाया गया है
एक भिखारी पिता अपने एम बी ऐ किये हुए बेरोजगार पुत्र को अपने पुश्तैनी धंधे में बैठाना चाहते है किंतु पुत्र बैठने को तैयार नही है पिता पुत्र की आपसी कलह को सुन पड़ोस के नेता जी आकर पुत्र को समझाते हैं कि भीख मांगना कभी निजता का काम रहा होगा किंतु अब नहीं है अब तो भीख मांगना हमारे सिस्टम में घुस गया है अंत में एमबीए की डिग्री दिए हुए पुत्र अपने पुश्तैनी धंधे पर बैठ जाता है और साबित करता है कि अगर आप में हुनर हो तो आप किसी भी धंधे को बड़ा बना सकते हो सिर्फ सरकारी नौकरी ही आखिरी विकल्प नहीं है।
नाटक हवालात में दर्शाया है
ठंड से ठिठुरते भूख से छटपटाते 4 बेरोजगारों को अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए हवालात जाना ही एकमात्र विकल्प नजर आता है । जहां रोटी भी मिलेगी और कंबल भी नाटक हवालात में आजादी के इतने वर्षों बाद भी रोटी कपड़ा मकान के लिए जूझ रहे शिक्षित बेरोजगारों की मनोस्थिति और आक्रोश को मंच पर संजीव कर दिया है।
यह नाटक का मंचन निर्देशक चंद्र भाष सिंह व उनके कलाकारों द्वारा मंचन किया गया था । स्था विजय बेला एक कदम खुशियों की ओर यहां कार्य समाज हित में अंतर रुप से जारी रहता है।