तरुण जायसवाल
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का नामचीन विश्वविद्यालय है, लखनऊ विश्वविद्यालय जहां पर हर वर्ष लाखों की संख्या में अनेक राज्यों से छात्र अपने उज्जवल भविष्य की कामना लिए लखनऊ विश्वविद्यालय को आते हैं। उसी विश्विद्यालय के छात्र व छात्राओं को आज कठिन परिस्थितियों से गुजरना पड़ रहा है। यह तक कि उन्हें अपना हक मांगने के लिए राज्य सरकार की मदद तक मांगने की आवश्यकता पड़ रही है। लखनऊ विश्विद्यालय के वीसी द्वारा छात्रों का प्रवेश परीक्षा परिणाम रोके जाने पर छात्रों ने जम कर आक्रोश जताया जिसके कारण कुछ छात्रों को जेल भी जाना पड़ा जिस कारण से यूनिवर्सिटी प्रशासन के बीच जमकर बवाल हुआ अन्ततः किसी भी छात्र की सुनवाई उनके हक़ में नही हुई । हर तरफ गुहार लगाते हुए छात्र व छात्राओं की कोशिशों को देखते हुए बुधवार 11 जुलाई 2018 को विश्विद्यालय के पूर्व छात्रसंघ के पदाधिकारियों ने प्रेस वार्ता रखी जिसमे लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष व पदाधिकारी मजूद रहे और उन्होंने कहा कि कुछ महीनों से लखनऊ विश्विद्यालय को कबूतर खाना बना दिया गया है। मुख्यमंत्री व राज्यपाल आजकल लखनऊ विश्वविद्यालय पर कुछ खास ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। जिनकी नज़रन्दाज़गी के कारण विश्विद्यालय का वातवरण खराब हो रहा है। उन्होंने सरकार से विश्विद्यालय में सालों से रुके हुए चुनाव की प्रक्रिया पूरी की जाय सभी छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष व पदाधिकारियों ने प्रतिवेदन दिया है, और 3 हफ्ते में काम नही हुआ तो इसके खिलाफ आंदोलन करेंगे साथ ही उन्होंने कहा कि हम हिंसा का समर्थन नही करते पर संवाद के नाम पर विश्विद्यालय का वातावरण खराब नही होने देना चाहते है। पूर्व छात्रसंघ पदाधिकारियों का कहना है की अगर पूजा शुक्ला सहित अन्य छात्रों की प्रवेश बहाली नहीं होती है तो वो पहले राज्यपाल से मिलेंगे फिर कुलपति और अगर इसके बाद भी छात्रों की प्रवेश बहाली नहीं हुई तो जनता के बिच जा कर लखनऊ सहित पुरे प्रदेश में बड़ा छात्र आंदोलन करेंगे। अतुल कुमार अनजान(पूर्व अध्यक्ष,लखनऊ,वि.वि.छात्रसंघ), सत्यदेव त्रिपाठी(पूर्व अध्यक्ष,लखनऊ वि.वि.छात्रसंघ),अरविन्द सिंह ‘गोप(पूर्व अध्यक्ष,लखनऊ वि.वि.छात्रसंघ), अरविन्द कुमार सिंह(पूर्व अध्यक्ष,लखनऊ वि.वि.छात्रसंघ),डाॅ0 राजपाल कश्यप (पूर्व अध्यक्ष, लखनऊ वि.वि.छात्रसंघ) सहित कई अन्य छात्रनेता भी मौजूद रहे