रंजीव ठाकुर
लखनऊ । प्रदेश के बहराईच निवासी अनिल कुमार गिरि को बांये पैर टूटने का इतना दंश झेलना पड़ा कि जितना उन्होनें कभी जिंदगी में सोचा भी न था । अनिल की टूटी बांयी टांग का इलाज गोंडा के जिला अस्पताल में पूरे डेढ़ महीने तक चलता रहा पर सरकारी डॉक्टर पैर सही नहीं कर पाये । अनिल की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उसकी पत्नी दर दर भटकती रही पर अनिल को इलाज न मिल सका । घर में इकलौते कमाने वाले सदस्य के बिस्तर पर पड़ जाने से परिवार की स्थिति और गंभीर हो गयी । थक हार कर अनिल ने राजधानी के लोहिया अस्पताल का रुख किया पर दुर्भाग्य ने यहॉ भी अनिल का पीछा नहीं छोड़ा । अनिल के लोहिया अस्पताल पहुंचते ही अॉपरेशन के लिये जरूरी मशीन खराब हो गयी । थके हारे जिंदगी से पस्त हो चुके अनिल की पत्नी ने आर्थिक मदद के लिये मुख्यमंत्री योगी से गुहार लगाई पर नतीजा सिफर ही रहा । अनिल की पत्नी पॉच बार मुख्यमंत्री योगी के जनता दरबार पहुंची पर हर बार अधिकारियों ने प्रार्थनापत्र ले कर कार्यवाही करने का आश्वासन दिया पर काम नहीं किया । अनिल की पत्नी ने बताया कि वे तड़के आ कर कालीदास मार्ग पर लाइन में लग जाती थी जहॉ काफ़ी देर बाद उनका नम्बर आता था और अधिकारी लोहिया अस्पताल द्वारा लिखे गये एसटीमेट पर चिड़िया बैठा देते थे ।
तब अनिल ने गॉव में ब्याज पर 25 हजार रुपये ले कर लोहिया अस्पताल में पैर का इलाज करवाया और उसके पैर में राड़ डाली गयी । सोमवार को अॉपरेशन होने के बाद शुक्रवार को डिस्चार्ज हुए अनिल और उसकी पत्नी के चेहरों पर संतोष के भाव होने के साथ साथ सरकार के प्रति नाराजगी के भी भाव रहे । अनिल की तरह न जाने कितने ग्रामीणों को इस प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है जिसका जिक्र तक कहीं नहीं आता है और यदि बात करे सरकारी मशीनरी की तो इसका पुरसाहाल लेने वाला कोई नहीं है । अब देखने वाली बात ये है कि ऐसी घटनाओं से सबक ले कर योगी सरकार कुछ ठोस कदम उठायेगी या बयानबाजी की मरहम पट्टी ऐसे मरीजों को बांधी जाती रहेगी ।