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ऐसे न रूकेगी निजी स्कूलों की मनमानी

लखनऊ। निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों के साथ फीस के नाम पर होने वाली खुली लूट को रोकने के लिए योगी सरकार ने जो निर्णय लिये उनके खिलाफ उत्तर प्रदेश के निजी क्षेत्र के शिक्षा माफिया एक हो गए है। निजी स्कूलों की चमक दमक देखकर इसकी तरफ आकृर्षित होने वाले 80 प्रतिशत अभिभावकों की स्थिति एक तरफ कुआ और दूसरी तरफ खाई है। क्योकि इन निजी और बड़े संस्थानों में नौकरशाहों से लेकर राजनेताओं और न्यायिक सेवा से जुड़े अभिभावकों का बड़ा कुनबा जुड़ा है इसलिए इनकी मनमानी पर लाख चाहते हुए भी सरकार लगाम नही लगा पाती। यही कारण है कि राजधानी लखनऊ के नामी गिरामी स्कूल शिक्षा के अधिकार अधिनियम की धज्जिया उड़ाने से भी परहेज नही करते। शिक्षा मंत्री के स्कूलों के लिए निर्धारित (9.25) प्रतिशत से अधिक फीस न बढ़ाने के फरमान के खिलाफ निजी स्कूल संचालकों ने मोर्चा खोल दिया है। निजी स्कूलों में इस बात को लेकर खलबली है कि सरकार 9.25 प्रतिशत का आंकड़ा किस आधार पर तय करते हुए घोषित किया गया। अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने शनिवार को विज्ञप्ति जारी कर कहा कि सरकार से कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआइ) को स्पष्ट किए जाने की मांग की है। एसोसिएशन के सदस्यों ने कहा कि फीस रेगुलेशन एक्ट के अनुसार अतिरिक्त फीस वृद्धि के लिए स्कूलों को फीस विनियामक कमेटी से अनुमति लेनी पड़ेगी। अनिल ने कहा इस तरह यदि कोई स्कूल बच्चों की सुविधा के लिए कक्षाओं में एसी लगवाना चाहता है, स्पोर्ट्स की अतिरिक्त सुविधाएं देना चाहता है, स्वीमिंग पुल, बास्केटबॉल कोर्ट व ई-क्लास रूम की व्यवस्था करने की दशा में यदि पहले कमेटी से अनुमति लेनी पड़ी तो यह स्कूलों की स्वायत्ता के लिए हानिकारक है। उन्होंने कहा कि ऐसी सुविधाएं मुहैया कराने की दशा में फीस बढ़ाना स्वाभाविक है। योगी सरकार ने पिछले दिनों कैबिनेट की बैठक में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस वसूली को लेकर एक अहम प्रस्ताव को मंजूरी दी थाी। इसेक तहत सरकार का दावा था कि इस विधेयक के अमल में आने के बाद निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने में सफलता मिलेगी। यूपी में कैबिनेट की बैठक में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस वसूली पर नकेल कसने का फैसला लिया गया और ये प्रस्ताव पास हुआ था कि निजी स्कूल हर साल 7-8 फीसदी से ज्यादा फीस नहीं बढ़ा सकते. साथ ही 12वीं तक एक ही बार एडमिशन फीस ली जा सकेगी। विद्यालय के शुल्क लेने की प्रक्रिया पारदर्शी होगी और कोई भी स्कूल सिर्फ चार तरह से ही शुल्क ले सकेंगे, जिसमें विवरण पुस्तिका शुल्क, प्रवेश शुल्क, परीक्षा शुल्क और संयुक्त वार्षिक शुल्क शामिल है। अगर कोई वैकल्पिक सुविधा जैसे वाहन, होस्टल, भ्रमण व कैंटीन की सुविधा लेता है, तभी शुल्क देना होगा. हर तरह के शुल्क की रसीद देना स्कूलों के लिए अनिवार्य होगा। उन्होंने बताया कि इन नियमों के दायरे में सीबीएससी और आईसीएससी बोर्ड द्वारा संचालित विद्यालयों को भी लिया गया है. साथ ही कोई भी स्कूल बच्चों की ड्रेस में पांच वर्ष तक बदलाव नहीं कर सकेगा और न ही जूते-मोजे किसी दुकान से लेने के लिए बाध्य कर सकेगा। निजी विद्यालय में किसी भी कमर्शियल कार्य से जो आय होगी, उसे विद्यालय की आय माना जाएगा। सरकार के इन फैसलों से अभिभावकों को राहत मिलने की उम्मीद है। वहीं सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने बताया कि ऊर्जा विभाग की परीक्षा नियमावाली में संशोधन को लेकर एक प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। प्रस्ताव के मुताबिक, सहायक अभियंता की परीक्षा में अब साक्षात्कार 250 अंकों की बजाय केवल 100 अंकों का होगा, जबकि लिखित परीक्षा 750 अंकों का ही होगा। योगी सरकार ने शिक्षा माफियाओं पर नकेल कसने के लिए एक समान पाठयक्रम, विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों नियमित सत्र, शिक्षकों की कमी को दूर करने, फीस वृद्धि राकने कके लिए कानून बनाने, सरकारी शिक्षक द्वारा कोचिंग संचालन पर एफआईआर,आईटीआई में पुराने ट्रेड बदल कर आधुधिक और जरूरत वाले ट्रेड की पढ़ाई शुरू कराने पर जोर दिया था। इसके अलावा दो सौ दिनों में पूरा कोर्स कराने, शिक्षको और छात्रों की बायोमेट्रिक्स उपस्थिति पर जोर दिया था। फीस वृद्धि को लेकर भी सरकार गम्भीर थी। इसके लिए बकायदा कैबिनेट में प्रस्ताव लाया गया।जबकि यूपी के शिक्षा माफिया छह से 35 प्रतिशत तक की फीस बढ़ोत्तरी कर चुके थे। राजधानी के न्यू वे सीनियर स्कूल में कक्षा तीन की फीस पिछले साल 22,150 थी जो इस वर्ष 35 प्रतिशत बढ़कर 33,870 रूपये हो गई। इसी तरह मिलेनियम स्कूल में 15 प्रति तो सेन्ट फ्रासिंस में 13 और नामी गिरामी स्कूल सिटी माॅन्टेसरी में 12 प्रतिशत के साथ स्कूली ड्रेस के बदलाव में आने ाला खर्चा अलग शामिल है। पिछले दिनों एक सर्वे ने तो उत्तर प्रदेश में निजी स्कूल की मनमानी फीस वसूली का पूरा चिठ्ठा खोलते हुए या बता दिया था कि निजी स्कूल गाइड लाइन को ताक पर रखकर फीस वसूली कर रहे है। इस सर्वे के मुताबिक उत्तर प्रदेश के 65 प्रतिशत स्कूल ने तय 10 प्रतिशत से अधिक फीस बढ़ोत्तरी की थी। अब कैबिनेट के फैसले के विरोध में जो निजी स्कूल सामने आ रहे है सरकार को इनके खिलाफ संख्त कदम उठाना ही होगा।

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