लखनऊ। रिहाई मंच ने शनिवार को स्थापना ने 10 वर्ष पूर्ण होने पर न्यायिक भ्रष्टाचार और लोकतंत्र विषयक संगोष्ठी का आयोजन राजधानी के प्रेस क्लब में किया। गोष्ठी में मुख्य रूप से सुप्रीमकोर्ट के दिल्ली निवासी वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अपने उद्गार व्यक्त किए। न्याय व्यवस्था में आकंठ भ्रष्टाचार व्याप्त होने की बात करते हुए प्रशांत ने बीजीपी सरकारों को भी जी भर कर कोसा। भूषण ने कहा कि न्यायधीशों को ये सरकार स्वतंत्र नहीं रहने दे रही है। क्योंकि भ्रष्टाचार का मामला दिन पर दिन इतना बढ़ चुका है कि अधिवक्ता खुद से स्वतंत्र नहीं हो पा रहा है जिससे कि कोर्ट में सही न्याय नहीं मिल पा रहा है। अगर न्यायपालिका में भ्रष्टाचार को खत्म करना है तो सबसे पहले हमे सरकार के ज्यादा खुद को स्वतंत्र करना होगा ।
अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि एक न्यायिक जांच में कुछ ऐसा मामला देखने को मिला था जहां पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश खुद से सही निर्णय नहीं दे पाए क्यों कि उनके ऊपर सरकार का दबाव था। इसी वजह से आज के समय में किसी भी व्यक्ति सही न्याय नहीं मिल पाता है। सीबीआई के पास इसकी जांच के आदेश भी थे पर वो भी सही ढंग से जांच नहीं कर पा रही । उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट क्या चाहती है ? क्या उन्हें खुद पर भरोसा नहीं ? वह खुद से स्वतंत्र नहीं या फिर उन्हें किसी के दबाव में आकर ऐसा निर्यन देना पड़ता है। इन सभी सवालों का एक ही जवाब है वो है सुप्रीम कोर्ट से लेकर निचली आदालत के सभी जज व वकील भ्रष्टाचार से मुक्त हो जाएं अन्यथा उन्हें भी भ्रष्टाचार के आड़ मे खुद को खोना पड़ेगा ।