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राज्यपाल बोलीं, जाति में बंटिए मत, फंसिए मत,बिचौलिए जहां भी हों दूर कीजिएय चंदू चौंपियन फिल्म जरूर देखें

लखनऊ। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने लखनऊ में कहा- जाति में बंटिए मत, फंसिए मत। बिचौलिए जहां भी हों, दूर कीजिए। शिक्षा ही सिर्फ एक ऐसा माध्यम है, जो आपको जाति में बंटने से बचाएगा। संस्कार और हमारी परंपराएं ही हमारे लिए सब कुछ हैं। इसलिए बंटिए मत। राज्यपाल ने कहा- आत्मविश्वास ही सबसे बड़ी ताकत होती है। हिम्मत से सबकुछ हासिल किया जा सकता है। राज्यपाल लखनऊ के शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में बोल रही थीं। राज्यपाल ने 130 मेधावियों को मेडल भी दिए। राज्यपाल ने पीएम मोदी की तारीफ की। उन्होंने कहा- कल प्रधानमंत्री ने पैरा ओलिंपिक में मेडल पाने वाले सभी 29 खिलाड़ियों से मुलाकात की। इस दौरान सभी ने प्रधानमंत्री को मेडल पहनाया। प्रधानमंत्री खुद झुक गए और दिव्यांग खिलाड़ियों के हाथ से मेडल पहना। उन्होंने कहा सालों तक नालंदा विश्वविद्यालय टूटा-फूटा पड़ा था। किसी ने ध्यान नहीं दिया। हमारे प्रधानमंत्री ने ही इसे फिर से बनाया। बहुत सारे ऐसे काम उन्होंने किए, जिसे किसी ने नहीं किया। भारत ने सदियों से विश्व को ज्ञान सिखाया है। अब भी सिखा रहा है। विनय पत्रिका लेने के लिए चीन के फाह्यान भारत आए। 3 साल का समय उन्हें आने में लगा। हिमालय पर्वत पार किया और बिहार पहुंचे। तब उन्हें वह पुस्तक मिली। पुस्तक संस्कृति में थी। फिर 3 साल वहीं रुककर संस्कृति पढ़ी, फिर उसे चीन ले गए। राज्यपाल ने कहा मुख्य अतिथि मुरलीकांत पेटकर जी को नमन करती हूं। उन्हें भारत का पहला पैरालिंपिक में स्वर्ण पदक मिला। जब ये सेना में थे, तो 9 गोलियां लगी थीं। फिर भी जीवित हैं। इनके जीवन पर फिल्म चंदू चौंपियन बनी है। हम सभी को इस फिल्म को देखना चाहिए। अपने संबोधन के दौरान राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा युवाओं से मुझे कहना हैं कि आपको जाति में नहीं फंसना है। शिक्षा से ही जाति के नाम पर लोगों को बंटने से बचाया जा सकता है। भारत ने सदियों से विश्व को ज्ञान सिखाया है। विनय पत्रिका लेने के लिए चीन के फाह्यान भारत आए। 3 साल का समय उन्हें आने में लगा। हिमालय पर्वत पार किया और बिहार पहुंचे। तब उन्हें वह पुस्तक मिली। पुस्तक संस्कृति में थी। फिर 3 साल वहीं रूककर संस्कृति पढ़ी, फिर उसे चीन ले गए। सालों तक नालंदा विश्वविद्यालय टूटा-फूटा पड़ा था। किसी ने ध्यान नहीं दिया। हमारे प्रधानमंत्री ने ही इसे फिर से बनाया। बहुत सारे ऐसे काम उन्होंने किए जिसे किसी ने नहीं किया। संस्कार और हमारी परंपराएं ही हमारे लिए सब कुछ हैं। बांटिए मत। कल 14 सितंबर हिंदी दिवस है। मातृ भाषा का सम्मान बेहद जरूरी हैं। हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है। बच्चों को मातृभाषा सिखाएं और संस्कृति के बारे में बताएं। राज्यपाल आनंदी बेन ने कहा कि कल प्रधानमंत्री ने पैरा ओलिंपिक में मेडल पाने वाले सभी 29 खिलाड़ियों से मुलाकात की। इस दौरान सभी ने प्रधानमंत्री को मेडल पहनाया। प्रधानमंत्री खुद झुक गए और दिव्यांग खिलाड़ियों के हाथ से मेडल पहना। मुख्य अतिथि मुरली कांत पेटकर ने कहा कि दिव्यांग अच्छे हैं पर कोच अच्छे नहीं हैं। आप देख लीजिए कि आपकी यूनिवर्सिटी में कोच अच्छे हैं या नही? कोच अच्छे होंगे तभी दिव्यांग अच्छा कर पाएंगे। आत्मविश्वास ही सबसे बड़ी ताकत होती है और हिम्मत से सब कुछ हासिल किया जा सकता है। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा मुख्य अतिथि पेटकर जी को नमन करती हूं। उन्हें भारत का पहला पैरा ओलिंपिक स्वर्ण पदक मिला था। जब ये सेना में थे तो 9 गोलियां लगी थी, फिर भी जीवित हैं। इनके जीवन पर चंदू चौंपियन फिल्म बनी है। राज्यपाल ने कहा कि आज 11वें कॉन्वोकेशन में पदक पाने वालों की लिस्ट देखी तो इसमें 10 से 11 दिव्यांग स्टूडेंट्स का नाम दिखा। सामान्य और दिव्यांग दोनों की मिक्स यूनिवर्सिटी है। मुझे लगता है कि ये अच्छा है, सभी साथ पढ़ते हैं। सामान्य स्टूडेंट्स और दिव्यांग स्टूडेंट्स के लिए अलग अवॉर्ड केटेगरी निर्धारित करें। इसे अगले साल से लागू करें। कई दिव्यांग बच्चों और सामान्य बच्चों के साथ उनके माता-पिता आए हैं। सामान्य बच्चे को पालना एक बात है, पर दिव्यांग बच्चे को पालना बहुत मेहनत का काम होता है। सभी छात्र-छात्राओं के माता-पिता को धन्यवाद।

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