विद्युत विभाग के निजीकरण का विरोध जायज
लखनऊ। सरकार द्वारा उ0प्र0 के विद्युत विभाग में पुनः निजीकरण की श्रृंखला को बढ़ावा देते हुए कुछ आदेश जारी करने का मन बनाया गया है। जबकि निजीकरण के पुराने अनुभव ठीक नही है। वर्तमान विभागीय प्रक्रियाओं में महती सुधार करके भी विभाग को अच्छा चलाया जा सकता है और जिम्मेदारीपूर्ण प्रक्रियायें अपनायी जा सकती है। मार्च 2017 में सरकार द्वारा 1856 से प्रदेश के विकास में निरन्तर लगे देश के सबसे पुराने विभाग लोक निर्माण विभाग को भी ‘‘निगम’’ बनाने का प्रयास किया था, जिसे अपने उचित तर्को एवं संगठनों के सामूहिक विरोध के कारण वापस ले लिया गया था। विभाग आज भी पूर्ण निष्ठा के साथ समयबद्ध तरीके से सरकार की योजनाओं का सफल संचालन कर रहा है।
हम चाहते हैं कि सरकार द्वारा इस प्रकार के पुनः किये जा रहे विद्युत विभाग के निजीकरण के प्रयास को बन्द किया जाये ताकि प्रदेष के विकास में नुकसानदायक रही निजीकरण की नीतियों के तहत सरकारी धन की बचत करते हुए कार्मिकों के उत्पीड़न को भी रोका जा सके। लोक निर्माण विभाग, उ0प्र0 का पूरा सांगठनिक परिवार, कर्मचारी अधिकारी महासंघ लोक निर्माण विभाग उ0प्र0 के रुप में उत्पीड़न आदि होने पर किसी भी कीमत पर ‘‘विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति उ0प्र0’’ के साथ रहेगा।
उक्त सम्बन्ध में आज मा0 मुख्य मंत्री जी को पत्र लिख कर तथा फील्ड हॉस्टल विद्युत विभाग में सभी समर्थन देने वाले बड़े संगठनों की सम्पन्न बैठक में समर्थन पत्र दिया गया। इस बैठक में श्री रामराज दुबे, अध्यक्ष (चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संघ) डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ, लो0नि0वि0 के कार्य0 अध्यक्ष इं0 दिवाकर राय, कर्मचारी अधिकारी महासंघ इं0 वी0के0 कुशवाहा, लो0नि0वि0 मिनि0 कर्मचारी संघ के जे0पी0 पाण्डे श्री सुनील यादव, अध्यक्ष जे0पी0 तिवारी मिनिस्ट्रियल एसो0 (प्रमुख अभि0 कार्या0 सर्किल) श्री भारत यादव, अध्यक्ष (नियमित वर्कचार्ज कर्मचारी संघ) श्री त्रिलोक सिंह, अध्यक्ष (चालक संघ) श्री अरविन्द कुमार, अध्यक्ष (आर्किटेक्ट एसो0) श्री वीरेन्द्र कुमार यादव, अध्यक्ष मिनिस्ट्रियल एसो0 (प्रमुख अभि0 कार्या0) श्री रामसुरेश, अध्यक्ष (टेक्निकल एसो0) एवं वैज्ञानिक संघ के अध्यक्ष सहित तमाम पदाधिकारी उपस्थित रहे।