लखनऊ। अस्पतालों में रोगियों को दवा देकर उन्हें राहत प्रदान करने वाले फार्मासिस्ट अपने अंदर अथाह दर्द समेटे हुए हैं। इसकी बानगी मई महीने में देखी जा सकती है जहाँ 15 दिनों के अंदर दर्जन भर फार्मासिस्ट असमय काल के गाल में समा गए। 15 मई से ड्यूटी पर अचानक फार्मासिस्ट के मौत के मुंह में समाने से उत्तर प्रदेश संविदा फार्मासिस्ट एसोसिएशन ने क्षोभ व्यक्त किया है। एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष प्रवीण यादव ने कई मांगें सामने रखी है। 15 मई को प्रयागराज में प्रमोद यादव की अचानक हृदय गति रुकने से मृत्यु हो गई। 15 मई को ही कौशांबी में फार्मासिस्ट सदाशिव सिंह का आकस्मिक निधन। 17 मई को महराजगंज में श्रीनारायण सिंह की मृत्यु। 18 मई को प्रयागराज में फार्मासिस्ट जय सिंह की अचानक हृदय गति रुकने से मृत्यु हो गई। 20 मई को बुलंदशहर के सुरजजीत की अचानक मृत्य। 23 मई को लखनऊ के जानकी पुरम स्थित अर्बन पीएचसी में फार्मासिस्ट सचिन पाण्डेय और मई में ही गाजीपुर के बाराचौर मेंफार्मासिस्ट वकार सईद को सीने में अचानक दर्द उठा और प्राण पखेरू उड़ गए। एसोसिएशन की तरफ से प्रवीण यादव का कहना है कि आम चर्चा चल रही है कि कोविड वैक्सीन लगवाने के बाद कम उम्र में ही लोगों की मौतें हो रही हैं अतः एसोसिएशन की सरकार से मांग है कि स्वास्थ्य विभाग के प्रदेश स्तरीय उच्चाधिकारी सामने आकर स्थिति स्पष्ट करें। बताएं 15 दिनों में दर्जन भर फार्मासिस्टों की अचानक मौत कि स्पष्ट वजह कोविड वैक्सीन तो नहीं। काम का भारी लोड और अल्प वेतन के चलते फार्मासिस्ट अत्याधिक मानसिक तनाव में जी रहे हैं। बहुत सारे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र फार्मासिस्टों के सहारे चल रहे हैं। एसोसिएशन की मांग है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के सापेक्ष फार्मासिस्टों की संख्या बढ़ाई जाए। समय-समय पर वर्कशाप का आयोजन किया जाए। फार्मासिस्टों की समस्याओं को सुनकर सम्पूर्ण समाधान किया जाए। ड्यूटी के दौरान मरने वाले फार्मासिस्ट के निकट संबंधी को सरकारी नौकरी और 30 लाख की आर्थिक सहायता दी जाए। प्रवीण यादव ने चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार अतिशीघ्र समस्याओं का निराकरण करे अन्यथा एसोसिएशन आंदोलन करने को बाध्य होगी।