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क्या उपाध्यक्ष लविप्रा द्वारा अवैध निर्माणों पर जारी शासनादेशों का अनुपालन न करने पर दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही न करना दुरभि संधि का प्रमाण तो नहीं

अवैध निर्माणों पर कार्यवाही के साथ दोषी अधिकारियों पर दंडात्मक कार्य वही क्यों नहीं ?
अवध की आवाज़
लखनऊ। उत्तर प्रदेश शासन द्वारा आवश्यकतानुसार समय समय पर अवैध निर्माणों व अवैध कब्जों की आई बाढ़ पर अंकुश लगाने हेतु शासनादेश जारी होते रहे हैं। यहां तक कि मा0 मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से जन शिकायतों के निष्पक्ष निस्तानरण हेतु जनसुनवाई पोर्टल लांच किया गया। परंतु लखनऊ विकास प्राधिकरण प्रवर्तन जोन 1 व 5 में जन शिकायतों का निस्तारण शासन द्वारा जारी शासनादेशों में निर्देशित मानकों को ताख पर रखकर किया जा रहा हैं। खुलेआम शासनादेश संख्या 596/34- लो0शि0 5/2023 मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र,1 – 2018/ 117 / पैतीस /2 – 2018/ – 3/39(4)/18 तत्कालीन मुख्य सचिव राजीव कुमार, व 2239/आठ-5-2017 देवाशीष पांडेय द्वारा किये जारी किए गए आदेशों की भ्रष्ट कार्य शैली के चलते उच्चाधिकारियों द्वारा उल्लंघन व अवमानना की जा रही हैं। लखनऊ विकास प्राधिकरण के जोन 1 व 5 में जोनल अधिकारी, सहायक अभियंता व अवर अभियंताओं की भ्रष्ट कार्य शैली व दुरभि संधि के चलते अवैध निर्माण नियंत्रण से बाहर हो रहे हैं। उपाध्यक्ष इंद्रमणि त्रिपाठी पुराने वर्षों पहले बने अवैध निर्माणों पर ताबड़ तोड़ कारवाही तो कर रहे हैं परंतु राजधानी में हो रहे नवीन अवैध निर्माणों पर विराम लगाने में असफल हैं । इसका कारण यह हैं कि जोन 1 व 5 के जोनल अधिकारी, सहायक अभियंता व अवर अभियंताओं की भ्रष्ट कार्य शैली व दुरभि संधि के चलते अवैध निर्माणों को संरक्षण देना हैं। उक्त जोनों में न तो शिकायतों का निष्पक्ष निस्तारण किया जाता हैं और न ही अवैध निर्माणों को रोकने का प्रयास किया जाता हैं। बस भ्रामक विचलन से परिपूरित कारवाही के नाम पर खाना पूर्ति करके अवैध निर्माणों को पूर्ण कराया जा रहा हैं। शिकायतों का दबाव पड़ने पर आनन फानन में कार्यवाही करके ध्वस्त कर दिया जाता हैं। उक्त अधिकारियों द्वारा प्रारंभिक अवस्था में ही अवैध निर्माणों को क्यों नही रोका जाता हैं ? जब अवैध निर्माण होकर तैयार हो जाते हैं तब ही उक्त प्राधिकरण के प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा कार्यवाही कर धवास्तिकारण करने की याद क्यों आती हैं ? परंतु उक्त अवैध निर्माणों के मुख्यतः दोषी जोन 1 व 5 के जोनल अधिकारी, सहायक अभियंता व अवर अभियंताओं जिनके संरक्षण में अवैध निर्माण हो रहे हैं । उन पर उपाध्यक्ष लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा कोई दंडात्मक कार्यवाही नही की जाती है आखिर क्यों ? क्या उनकी उक्त प्रकरण में मोंन सहमति हैं जिसके चलते शासनादेशों की अवमानना व उल्लंघन के लिए दंडात्मक कारवाही नही की जाती हैं। आखिर अवैध निर्माण कर्ताओं को ही दोषी मानकर उनपर कार्यवाही क्यों की जाती हैं ? संरक्षण देने वाले उक्त प्राधिकरण के अधिकारियों की शिकायतें शिकायत कर्ताओं द्वारा उपाध्यक्ष के संज्ञान में देने पर भी शासानादेशों के तहत उपाध्यक्ष लविप्रा द्वारा कारवाही क्यों नही की जाती हैं ? क्या यह उनकी मोंन सहमति का प्रमाण हैं ?

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