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बैजनाथ के कंधों पर आई बड़ी जिम्मेदारी

बैजनाथ रावत बने उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के अध्यक्ष
कई और नेताओं का भी एससी एसटी आयोग में हुआ मनोनयन
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार ने उपचुनाव से पहले अनसूचित जाति और जनजाति के आयोग का गठन कर दिया है। 2017 में बाराबंकी से विधायक रहे बैजनाथ रावत उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग के अध्यक्ष बनाए गए हैं।वहीं गोरखपुर से पूर्व विधायक बेचन राम और सोनभद्र से जीत सिंह खरवार को उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है। आयोग में एक अध्यक्ष दो उपाध्यक्ष के साथ 9 सदस्यों के नाम की घोषणा की गई है। जिन 9 सदस्यों को आयोग में जिम्मेदारी दी गई है उनमें हरेंद्र जाटव, महिपाल वाल्मिकी, संजय सिंह, दिनेश भारत, शिव नारायण सोनकर, नीरज गौतम, रमेश कुमार तूफानी, नरेंद्र सिंह खजूरी और तीजाराम शामिल हैं।आयोग के अध्यक्ष बनाए गए बैजनाथ रावत का राजनीति से पुराना नाता है।उन्होंने विधायक से लेकर सांसद तक की जिम्मेदारी संभाली है।बैजनाथ रावत बाराबंकी के हैदरगढ़ के पास भूलभुलिया गांव के रहने वाले हैं। वे 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने हैदरगढ़ सीट से टिकट दिया था, जिसके बाद रावत ने चुनाव में भारी मतों के साथ जीत हासिल की थी और सपा के दो बार के विधायक राम मगन को करीब 33 हजार वोटों से मात दी थी।कल्याण सिंह सरकार में ऊर्जा राज्यमंत्री भी रहे हैं।बैजनाथ रावत तीन बार विधायक रह चुके हैं और एक बार 1998 में बाराबंकी से सांसद भी चुने गए थे। बैजनाथ रावत के सियासी सफर में मोड़ तक आया जब 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव में उनका टिकट कट गया था, जिससे रावत पार्टी से काफी नाराज हुए थे।उन्होंने आलाकमान से नाराजगी जताई थी। बीजेपी ने बैजनाथ रावत की जगह हैदरगढ़ से दिनेश रावत को टिकट दिया था। वो राजनीति में लंबा समय गुजारने के बाद भी सादा जीवन जीते हैं, खुद खेती करते हैं, खुद जानवरों को चारा डालते हैं। सर्वसुलभ और मिलनसार जनप्रतिनिधि के रूप में उनकी पहचान है। आयोग का अध्यक्ष बनाकर बैजनाथ रावत के कंधों पर बड़ी बड़ी जिम्मेदारी डाली गई है।

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