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कानपुर के उर्सला अस्पताला में डाक्टरों के संरक्षण में खुले आम कमीशनखोरी का खेल

हरिओम
कानपुर नगर| कानपुर के उर्सला अस्पताला में डाक्टरों के संरक्षण में खुले आम कमीशनखोरी का खेल चल रहा है। आलम यह है कि डाक्टरों के कमरों में डेरा डाले दवा कम्पनियों के एमआर स्वयं ही मरीजों के पर्चो पर अपनी कम्पनी की दवा लिख रहे है। हद तो यह है कि यह दवाईयां मरीजों को बाहर के मेडिकल स्टोर पर लेनी पडती है। यह खेल आज का नही बल्कि कई सालों से चल रहा है और इसकी जानकारी उपर तक है लेकिन कमीशनखोरी के कारण सब जानते हुए भी कोई कार्यवाही नही करता। जब मामला सामने आता है तो महज खानापूर्ति कर ली जाती है और सब पहले जैसा हो जाता है। शहर के जिला अस्पताल उर्सला की स्थिति बडी खराब है। यहां डाक्टरों के कमरे में दवा कम्पन्यिों के एमआर बैठकर दवायें लिखते है। कमीशनखोरी का चक्कर कुछ ऐसा कि डाक्टर कुछ भी नही कहते और पिसना मरीज व तीमारदार को पडता है। अभी कुछ ही दिन पहले असपताल के कमरा नम्बर 224 में एक फर्जी डाक्टर प्रदीप सचान को रंगे हाथ पकड लिया गया था। यह फर्जी डाक्टर एक दवा कम्पनी से जुडा हुआ था और डाक्टरों के कमरे में बैठता था। पकडे गये फर्जी डाक्टर का क्या हुआ, उसपर क्या कार्यवाही की गयी इसका कोई पता नही चला लेकिन हालात वैसे ही बने हुए है। डाक्टरों के कमरो में जमे बैठे यह एमआर बिना किसी झिझक व डर के पर्चो पर मनमचाही दवाए लिखवा रहे है। डाक्टर भी बाहर की ही दवाये लिख रहा है, शासन के आदेशो को ढेंगे पर रखा जा रहा है। पूरा अस्पताल प्रशासन इस खेल में लिप्त है, ऊपर तक कमीशनखोरी का हिस्सा पहुंच रहा है। दवा कंपनियों के मोटे कमीशन के आॅफर और उपहार में डाक्टर सबकुछ करने को तैयार है।

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