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शहर में शान से तनी अधोमानक इमारते

केडीए अभियंताओं की मेहरबानी से पूरे शहर में मानको को ताक पर रख कर खडी हुई इमारते, इमारतो में नही बनाया गया पार्किंग सिस्टाम, कई में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी नही। गली कूचों में तनी अवैध इमारते दे रही खतरे का संकेत
कानपुर नगर | जब भी अप्रिय घटना घटित होती है तब शहर का प्रशासन जागता है, सरकारी विभाग जागता है। सूरत की घटना एक बार फिर यह साबित करती है कि विभाग अपनी जिम्मेदारी इमानदारी से नही निभा रहे है। कानपुर में भी ऐसी इमारतों में आग लग चुकी है, लोगो की जान जा चुकी है। कुछ समय के लिए तो शोर-शराबा होता है लेकिन फिर सामान्य हो जाता है। हकीकत तो यह है कि केडीए अभियंताओं की ही मेहरबानी से पूरे शहर में अवैध निर्माण होते आये है। शहर में 500 से ज्यादा ऐसी इमारे सीनातान कर खडी हो चुकी है जिसमें पार्किंग स्थल भी नही है। केडीए में भ्रष्टाचार की जडे इतनी मजबूत हो चली है कि यहां पैसे के दम पर कुछ भी कराया जा सकता है। यहां के अभियंता पैसे के सामने नाचते नजर आते है। शहर के बडे-बडे भूमाफियाओं के पिछलग्गु यह अधिकारी शहर की अवैध इमारतो, नर्सिंगहोमो, अपार्टमेंटो की बाढ आ चुकी है। सकरी-सकरी गलियों में बडी-बडी इमारते खडी हो गयी है। न मानको का ओर न ही किसी सरकारी नियमों का पालन किया गया और यह सभी केडीए के अभियंताओं की मेहरबानी से होता है। केडीए में ऊपर-से नीचे तक के भ्रष्टाचार ने शहर को खोखला बना दिया है। सैकडो इमारते तो ऐसी है कि जिनमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को भी दरकिनार कर दिया गया है। बीते दिनों एकेडीए द्वारा व्यावसायिक इमारतों का सर्वे कराया गया था। इस बात का खुलासा होने के बाद केउीए उपाध्यक्ष ने सचिव व जोनल प्रवर्तन अधिकारियों को कार्यवाही के आदेश दिये ऐेसे में सवाल यह उठता है कि यह निर्माण जिनकी मेहरबानी से हुआ वह कार्यवाही क्या करेग, जब जांच में यह बात सामने आ ही चुकी है तो फिर ऐसे अधिकारियों पर कार्यवाही कब होगी। बीते वर्षा में शहर में बिना पार्किंग के इमारते खडी हो गयी। जहां पार्किंग होनी चाहिये उस स्थान को व्यवसाय के लिए उपयोग किया जा रहा है। उर्सला से कचहरी रोड पर भागर्व नर्सिंग होम, उसके सामने कुछ ही वर्ष पहले बनी इमारत, चुन्नीगंज चैराहे से महज दस कदम पर बना एक नर्सिंग होम जैसी सैकडो इमारते यह साबित करती है कि किस प्रकार केडीए अभियंताओं की सांठ-गांठ से गलत निर्माण कराये गये है। जांचे ओर कार्यवाही के आदेश भी सैकडो बार होते है लेकिन होगा क्या। क्या सीना ताने खडी शहर की यह इमारते गिरायी जायेगी या उन अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही होगी जो ऐसे निर्माण के सहयोगी रहे है। समय बीतने के साथ एक बार फिर यह जिन्न वापस बोतल में चला जायेगा और शहर में इसी प्रकार बिना मानक के इमारते खडी होती रहेंगी।

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