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कुर्बानी करते वक़्त न तो फोटी खीची जाये और न उसको सोशल मीडिया पर अपलोड किया जाये

इस्लामिक सेन्टर आफ इण्डिया ने ईद उल अज़हा पर जारी की एडवाइजरी
लखनऊ। इस्लामिक सेन्टर आफ इण्डिया फरंगी महल के चेयरमैन मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली इमाम ईदगाह व काजी-ए-शहर लखनऊ ने निम्नलिखित बिन्दुओं पर आधारित बकरईद के सम्बन्ध में एडवाइजरी जारी की ईद उल अज़हा में हर साहिब-ए-हैसियत मुसलमान पर कुर्बानी करना वाजिब है। ईद उल अज़हा के 3 दिनों (10, 11, 12 जिलहिज्ज मुताबिक़ 17, 18 और 19 जून 2024) में कुर्बानी करना कोई रस्म नही बल्कि खुदा पाक की पसन्दीदा इबादत है। यह हजरत इब्राहीम अलै0 और हजरत इस्माईल अलै0 की सुन्नत है। इन दिनों में इस का बदल कोई दूसरा नेक अमल नही हो सकता। इस लिए तमाम साहिबे निसाब मुसलमान कानूनी दायरे में रहते हुए कुर्बानी को जरूर अंजाम दें।
हमेशा की तरह उन्ही जानवरों की कुर्बानी की जाए जिन पर कोई कानूनी पाबन्दी नही है। कुर्बानी वाली जगहों पर सफाई सुत्थराई का विशेष एहतिमाम किया जाए।
खुली जगह या सड़क के किनारे, गली और पब्लिक स्थानों पर कुर्बानी न की जाए। जानवरों की गन्दगी रास्तों या पब्लिक स्थानों पर न फेंके बल्कि नगर निगम के कोड़ेदानों ही का प्रयोग करें। कुर्बानी के जानवरों का खून नालियों में न बहायें। एैसा करना धार्मिक ऐतिबार से ना पसन्दीदा है और स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है। उसको कच्ची जमीन में दफन कर दें ताकि वह पौधों और पेड़ों की खाद बन सके। जानवर के गोश्त की तकसीम अच्छी तरह पैक करके की जाए। गोश्त का तिहाई हिस्सा गरीबों और जरूरत मन्दों को जरूर दिया जाए। कुर्बानी करते समय ना तो फोटो ली जाए, ना वीडियो बनायी जाए और न उसको सोशल मीडिया पर अपलोड किया जाए। जानवर की खालें खुदा की राह में सद्का करें।
ईद उल अज़हा की नमाज़ के बाद सख़्त गर्मी से राहत के लिए खुसूसी दुआ की जाये। हम को उम्मीद है कि इन बातों पर अमल किया जायेगा।

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