परिवार नियोजन में पुरुषों की सक्रिय भागीदारी जरूरी : डॉ. गुप्ता
उन्नाव। परिवार कल्याण कार्यक्रमों का लाभ समुदाय तक पहुंचाने पर स्वास्थ्य विभाग का पूरा जोर है | परिवार नियोजन के साधन अपनाने से जहाँ माँ और बच्चे का स्वास्थ्य बेहतर रहता है वहीँ अनचाहे गर्भ से मुक्ति भी मिलती है | परिवार सीमित रखने के साथ ही मातृ व शिशु मृत्यु दर में कमी भी आती है | इसी को ध्यान में रखते हुए हर गुरूवार को अन्तराल दिवस, हर माह की नौ तारीख़ को विशेष अंतरा दिवस तथा हर माह की 21 तारीख़ को खुशहाल परिवार दिवस आयोजित किया जाता है |
परिवार को सीमित रखने के लिए स्वास्थ्य केन्द्रों पर अस्थाई साधन जैसे – आईयूसीडी, प्रसव पश्चात आईयूसीडी , त्रैमासिक गर्भनिरोधक इंजेक्शन अन्तरा , गर्भनिरोधक गोली छाया, माला एन, आकस्मिक गर्भनिरोधक गोलियां व कंडोम निःशुल्क उपलब्ध हैं | इसके साथ ही महिला एवं पुरुष नसबंदी (एनएसवी) जैसे स्थायी साधन भी उपलब्ध हैं जो कि नियत सेवा दिवस के माध्यम से लोगों को उपलब्ध कराये जा रहे हैं | हौसला साझीदारी के तहत निजी अस्पताल भी निःशुल्क यह सुविधा दे रहे हैं | यह जानकारी परिवार नियोजन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एवं उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. विजय गुप्ता ने दी | उन्होंने बताया- जनपद में 11 से 31 जुलाई तक जनसँख्या स्थिरता पखवाड़ा मनाया जा रहा है | इस दौरान पुरुषों को आगे आकर नसबंदी के साधन का चुनाव करना चाहिए | इस पखवाड़े के आयोजनों में उत्तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई (यूपीटीएसयू) के जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ सहयोग कर रहे हैं | ब्लाक समुदाय प्रक्रिया प्रबन्धक स्तर से आशा संगिनी और आशा कार्यकर्ता से व्यापक सहयोग अपेक्षित है |
डॉ. गुप्ता का कहना है कि परिवार नियोजन कार्यक्रम तभी सफल होगा जब पुरुषों की सक्रिय भागीदारी होगी | पुरुष नसबंदी , महिला नसबंदी की अपेक्षा ज्यादा आसान है | यह बिना चीरा टांका वाली एक आसान प्रक्रिया है और परिवार नियोजन का एक स्थाई उपाय है| इस प्रक्रिया में शुक्राणु नालिका बंद कर दी जाती है जिससे शुक्राणु वीर्य में नहीं मिल पाते और महिला को गर्भ नहीं ठहरता| इसे वह सभी पुरुष करवा सकते हैं जो 60 वर्ष से कम उम्र के हों और जिनका कम से कम एक बच्चा हो| नसबंदी के 99 फीसद मामले सफल होते हैं| कुछ लोगों को यह भी लगता है कि आपरेशन के कारण उन्हें कमजोरी हो जाएगी, जिसमें बिल्कुल सच्चाई नहीं है | पुरुष नसबंदी की प्रक्रिया पूरी होने में केवल 10-15 मिनट का समय लगता है | इसमें ज्यादा से ज्यादा एक दिन के आराम की जरुरत होती है, या उसकी भी जरुरत नहीं होती है|
डा. गुप्ता ने बताया – जागरूकता का अभाव, अशिक्षा , गरीबी, पुरुष प्रधान समाज, महिलाओं का कम पढ़ा लिखा होना, भ्रांतियाँ, परिवार के प्रति केवल महिला का उत्तरदायित्व होना आदि हमारे समाज में कुछ ऐसे कारक हैं जिनके कारण एनएसवी का प्रतिशत हमारे यहाँ बहुत कम है |
नोडल अधिकारी बताते हैं – लाभार्थी को एनएसवी करवाने पर 3000 की प्रोत्साहन राशि दी जाती है | नसबंदी विफल होने पर 60,000 की क्षतिपूर्ति राशि दी जाती है |
परिवार नियोजन लाजिस्टिक मैनेजर डा. आरिफ ने बताया- एनएसवी कराने के कुछ घन्टों के बाद जननांगों में सूजन हो जाए, घाव के आस-पास दर्द या जलन हो रही हो ,यदि तीन दिन के अन्दर बुखार हो जाए या खून आ रहा हो तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए |