Home > राष्ट्रीय समाचार > जन्म को तरसती बेटियाॅं

जन्म को तरसती बेटियाॅं

यूं तो हर बच्चे की पहली पाठशाला उसकी माॅं होती है। माॅं की सीख बच्चे को जीवन भर याद रहती है। 14 नवम्बर 1973 को इटावा के मलाजनी स्टेट में जन्मी एक बच्ची लखनऊ महानगर में पली बढ़ी और उसने अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा हासिल की।उसने अपना पूरा जीवन अजन्मी बेटियों और गरीब वर्ग की महिलाओं को समर्पित कर दिया।गरीब महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और कन्या भ्रूण हत्या को रोकना ही उसके जीवन का मकसद बन गया।
महिलाओं के अधिकारों के लिए समर्पित अनुपमा सिंह का लक्ष्य महिला सशक्तिकरण और उन्हें समाज में बराबरी का दर्जा दिये जाने के लिए लगातार संघर्षरत हैं। आज भले ही आधुनिकता की बात की जाती हो, मगर समाज में आज भी लैंगिक भेदभाव हो रहा है। देश के विकास में यह भेदभाव बड़ी चुनौती बनी हुई है। यह कहना है अनुपमा सिंह अध्यक्षा अनुपमा फाउण्डेशन का जिन्हें हाल ही में महिला क्षेत्र एवं कन्या भ्रूण हत्या रोकने के क्षेत्र कार्य में सम्मान से सम्मानित किया गया है। आप ने कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ बड़ा अभियान शुरु किया और दूर दराज के इलाकों तक इसके प्रति लोगों को जागरुक करने का बीड़ा उठाया है।
अनुपमा सिंह ने मनोविज्ञान और लाइब्रेरी साईंस में मास्टर डिग्री हासिल की इसके बाद दस वर्षों तक दो निजी शिक्षण संस्थानों में नौकरी की। अनुपमा सिंह की पढ़ाई से लेकर नौकरी तक महिलाओं की स्थिति और समाज सेवा को लेकर दी गई माॅं की सीख उनके भीतर उथल-पुथल मचाती रही। आखिरकार आत्मसंतुष्टि की खातिर वर्ष 2009 में नौकरी से इस्तीफा दे दिया। अगले साल उन्होंने अनुपमा फाउण्डेशन नामक स्वयंसेवी संस्था बनाई एवं समाज सेवा क्षेत्र में कदम रखा जिससे बालिका और नारी उत्थान, कन्या भ्रूण हत्या जैसे जघन्य अपराधों के प्रति लोगों का ध्यान आकर्षित करके बालिकाओं के जीवन को सुदृढ किया जा सके ।
आज उनकी संस्था लखनऊ शहर की झुग्गी-झोपड़ी से लेकर प्रतापगढ़, बाराबंकी, कानपुर देहात, उन्नाव व हरदोई जिले के गाॅंवो में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में जुटी है।
संस्था ने बाराबंकी जिले में गोपालपुर गाॅंव को गोद लिया है। अनुपमा फाउंडेशन ने गांव गोपालपुर को एक माडल गांव बनाने की परिकल्पना के तहत महिलाओं के समूहों के द्वारा विभिन्न प्रकार की ट्रेनिंग व शिक्षा के माध्यम से उनमे उद्यमिता को बढावा देना और सामाजिक तौर से परिपक्व करना शामिल है । जिससे अनुपमा फाउंडेशन के माध्यम से उनके स्तर, स्वास्थ्य और शिक्षा को एक दिशा प्रदान की जा सके । अब तक साढ़े तीन हजार महिलायें संस्था के माध्यम से आत्मनिर्भर बन चुकी है।
संस्था ने कन्याभ्रूण हत्या को रोकने के लिए एक कोशिश नामक अभियान छेड़ रखा है। इस अभियान कों अंतरराष्ट्रीय स्तर भी सराहना मिली है। एक कोशिश अभियान के तहत संदिग्ध अस्पतालों एवं अल्ट्रासाउंड सेंटरो पर स्टिंग आॅपरेशन भी किया जाता है। इसके अलावा, लोगों खासकर महिलाओं को जागरुक करने के लिए तमाम तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। जन्म को तरसती बेटियाॅं शिक्षित-अशिक्षित व अमीर-गरीब, सभी का बेटियों से मुक्ति पाने का नतीजा है। कोई उन्हें कोख में ही मरवा देता है, तो कोई कम उम्र में ही ब्याह कर देता है। बेटियों को जन्म लेने और सम्मान-सुरक्षा के साथ जीने का अधिकार मिलना चाहिए। साथ ही, महिलाओं को आर्थिक आजादी की भी दरकार है। कन्या भ्रूण हत्या के पीछे कई सामाजिक कुरितियां से आज भी हमारा समाज उबरा नहीं है । बालिका शिशु के प्रति संवेदनाओं और कर्तव्यों की ओर समाज को और जागरूक करने की आवश्यकता है, जिससे वास्तविक तौर पर बहुत सारी राष्ट्रीय समस्याओं जिसमें बालिका शिशु लिंगानुपात, स्वच्छता और शिक्षा के क्षेत्र में बालिकाओं का उत्थान आज एक अहम मुद्दा है । सही शिक्षा ना पा पाने की वजह से कई ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी बालिकाओं की सुरक्षा, शिक्षा, स्वच्छता और एक संम्पूर्ण नारी के तौर पर इस सभ्य समाज में अपना एक स्थान बना पाना आज भी एक बहुत बड़ी चुनौती है ।
सेफ वूमेन सेव वूमेन अभियान के तहत गरीब वर्ग की लड़कियों को सेल्फ डिफेंस की निशुल्क ट्रेनिंग भी दी जा रही है। अब तक तीन हजार लड़कियों को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इसके अलावा, महिलाओं को तमाम तरह की व्यावसायिक ट्रेनिंग देने के साथ उन्हें उनके अस्तित्व, आत्मसम्मान व कानूनी अधिकार के बारे में भी प्रशिक्षित किया जा रहा है।
अनुपमा सिंह के अनुसार अगर कन्या भ्रूण हत्या के प्रति समाज के जागरुक लोगों ने इस दिशा में पहल नहीं की तो आने वाला समय भयावह हो सकता है। अनुपमा सिंह के अनुसार भारत इस समय संयुक्त राष्ट्र के लैंगिक असमानता सूचकाॅंक में 186 देशों में 136वें पायदान पर है।
श्रीमति अनुपमा सिंह जी ने इस फाउंडेशन् के माध्यम से तथा अपने सतत प्रयास से बालिकाओं के उत्थान संम्बन्धित कई अन्य क्षेत्रों में अनेकों कार्यक्रमों की शुरूआत की, जिससे समाज में बालिकाओं को ना केवल शिक्षा, समानता का दर्जा प्रदान हो सके, बल्कि जागरूकता अभियानों के जरिये लोगों को उनके प्रति सहर्ष आगे आकर सामाजिक कुरितियों से उनको बचाने के प्रयास की दिशा में भी कार्य किये जा सके।
फाउंडेशन के माध्यम से इस सोच को और आगे तक ले जाना है, तथा बालिकाओं के उत्थान में हर संम्भव प्रयासो के द्वारा उन्हे ना केवल प्रेरित और उत्साहित किया जा सके, बल्कि समाज में अपना एक स्थान बनाने में एक मदद मिल सके । जिससे अनुपमा फाउंडेशन के द्वारा किये गये प्रयासो से वह खुद में एक उद्यमी, सहकर्मी और संम्पूर्ण नारी का अनुभव कर सके ।
अनुपमा सिंह ने महिलाओं की पीड़ा को करीब से समझा है। कई न्यूज़ चैनलों में संम्पादन कार्य के जरिये देश विदेश में अपने विचार और गति विधियों को प्रसारित और विस्तारित किया है और कई कार्यक्रमों को मूर्तरूप दिया है, जिसको अनुपमा फाउंडेशन की वेबसाइट पर भी देखा जा सकता है । अपनी सकारात्मक सोच के साथ उन्होने बालिकाओं को कम्प्यूटर की व्यवस्था, स्वास्थ्य एंव स्वच्छता के प्रति जागरूकता और उद्यमिता की ओर ना केवल प्रेरित किया बल्कि कई नये तकनीकी क्षेत्रों जिसमें जिनमें नई तकनीकी के माध्यम से जैविक खेती और वैज्ञानिक उपायों के द्वारा खेती और उद्यमिता में सुधार की ओर भी प्रयासरत किया है ।
श्रीमति अनुपमा सिंह जी ने ना केवल सामाजिक कार्यों के दायित्व को पूरा किया है बल्कि एन्टी करप्शन एंव क्राइम इन्वेष्टिगेशन व सर्व समाज व्यापार मंडल की अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद भी संभाला है।
प्रोजेक्ट जाग्रति के तहत छोटी बच्चियों में स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रति जागरूकता अभियान शामिल है, जिससे इन बच्चियों में उम्र के साथ साथ अपने व्यवहार और बदलाव के प्रति ना केवल जानकारी देना मात्र है बल्कि स्वास्थ्य के प्रति हर संभव जानकारी से अवगत कराना भी है । इसके साथ – साथ उन्हे शिक्षा और छोटी उम्र में विवाह आदि और उससे होने वाली परेशानियों की ओर भी जागरूक करने व ध्यान देने की ओर शिक्षित करने की जरूरत पर भी ध्यान दिया गया । जिसमें स्किल डेवलेप्मेंट के साथ – साथ उन्हें कई प्रचलित बीमारियों और सामजिक कुरितियों से भी अवगत कराने का प्रयास है ।
अनुपमा फाउंडेशन के मुख्य जागरूकता कैम्पेन में कुछ मुख्य मुद्दे जिनमें बाल मजदूरी, कामकाजी महिलाओं के बच्चों को चलित शिशु पालन व्यवस्था, बाल स्वास्थ्य और बच्चों को सामाजिक विसंगति और कुरितियों से दूर करने के उपायों और शिक्षा की ओर विशेष ध्यान देना है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *