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भिक्षुक गृह कर्मचारियों का वेतन 5 लाख, पर भिखारी मर रहे भूखे

लखनऊ। राजधानी के गांधी भवन पुस्तकालय में मंगलवार को बदलाव संस्थान के तत्वावधान में भिक्षुओं को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके पुनर्वास के लिए सरकार से गुहार लगाई गई। संस्था के संस्थापक शरद पटेल ने कहा कि भिक्षुक गृह के अधिकारी बिना किसी काम के वेतन ले रहे हैं और भिखारी सड़कों पर दम तोड़ रहे है। घर से निकाल दिए रवी जैन भीख मांगा करते थे जिनको लिफाफे बनाना सिखाया गया, पर सही खान-पान न मिलने की वजह से बिमार रहते हैं और संस्था ने उनका इलाज बलरामपुर अस्पताल में करवाया पर उन्हें बचाया नहीं जा सका। जरीना तलाक के बाद झोपड़ी में रह रही थी परंतु इलाज के आभाव में इनकी भी मृत्यु हो गई। इसी तरह एक के बाद एक करके सात भिखारियों ने प्रसाशन की उदासीनता के कारण दम तोड़ दिया। मृतकों को श्रद्धांजलि देते हुए रेमन मैग्सेसे अवार्ड विजेता संदीप पाण्डेय ने कहा कि न जाने कितने भिक्षुओं को ऐसे ही देहान्त हो जाता है पर भिक्षुक गृह के कर्मचारी लगभग पांच लाख रुपए वेतन पाने के बाद भी काम नहीं करना चाहते हैं। मूलभूत सुविधाओं से वंचित ऐसे लोगों के पास जीवकोपार्जन का कोई विकल्प नहीं होता है इसलिए ये लोग भिक्षावृत्ति अपनाते हैं और समाज को चाहिए कि ऐसे लोगों को अपनाए। बैठक में वक्ताओं ने समाज की मुख्य धारा से भिक्षुओं को जोड़ने के लिए विचार व्यक्त करते हुए प्रस्ताव रखे। इनके लिए पौष्टिक आहार और आवास की आवश्यकता पर बल देते हुए भिक्षुओं को जीवन शैली के बारे में जागरुक किया गया।

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