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सिंचाई व्यवस्था के आभाव में किसान दाने -दाने का मोहताज

मोहन लाल गंज , लखनऊ । एक तरफ सरकार किसानों को हर सम्भव सहायता दे खेती बाड़ी करने में आने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए दिन रात एक किये है । वही दूसरी ओर जिम्मेवारो की उदासीनता के चलते ब्लॉक मोहन लाल गंज की करीब सात दर्जन पंचायतो के किसान सिचाई के संसाधनों के अभाव के चलते खेती किसानी का काम बेपटरी है ।
क्षेत्रीय किसानों से प्राप्त जनकारी के मुताबिक ब्लॉक मोहन लाल गंज की करीब सात दर्जन ग्राम पंचायतो में पानी के अभाव में खेती किसानी का काम बेपटरी है , ग्रामीण किसानों ने बताया कि रवि की फसल की कटाई के बाद किसान अपने अपने खेतों में खरीफ की फसल के लिए बेढ की तैयारी में जुट गए है , वही दूसरी ओर मेंथा की फसल सिचाई के अभाव के चलते न के बराबर है , और खेतों में साग सब्जी करने वाले किसान भी अब सिचाई ब्यवस्था के बेपटरी होने के चलते और बार बार नफा तो दूर की बात बल्कि हर बार सिर्फ नुकसान में ही अंत तक पहुच जा रहे है । जिसका प्रमुख कारण सिर्फ सिचाई के संसाधनों की कमी का होना मान रहे रहे है , किसानों के मुताबिक नहरो में पानी समय से आता ही नही है , और आता भी है तो हेड से लेकर टेल तक पहुचता ही नही है , और ग्रामीण ग्रामीण इलाकों में जो सरकारी नलकूप लगे है , उनमे भी आधे चलते ही नही है , और जो चलते भी है उनमें आये दिन कोई न कोई समस्या बनी रहती है , जिससे क्षेत्रीय किसानों की किसानी बेपटरी है । वही दूसरी ओर निजी कलकुपो में महंगे डीजल से खेतों की सिचाई कर पाने में किसानों की कमर टूट कर रह जाती है ऊपर से आवारा पशुओ , और नीलगायों का आतंक के चलते किसानी ब्यवथा चौपट है । और सरकारी तंत्र भी किसानों को हर सीजन में सिर्फ आस्वाशन ही दे रहा है , वही अमलता के नाम पर जमीनी हकीकत कुछ और ही बया कर रही है । और पानी के अभाव में किसानों की सैकड़ो बीघा उपजाऊ जमीन परती पड़ी रहती है और धीरे धीरे उपजाऊ जमीन बंजर में तब्दील होती जा रही है , और किसान किसानी में मुनाफा के फेर में सिर्फ नुकसान ही उठा रहा है । और पानी के अभाव में किराये के पानी से सिर्फ मुनाफा के चक्कर मे सिर्फ नुकसान ही उठा जाता है ,। जिससेक्षेत्रीय किसानों में किसानी से धीरे धीरे मोह भंग होता जा रहा है , और उधर कम बरसात होने के चलते वाटर लेबल भी दिन बदिन कम पड़ता चला जा रहा है । वही जिन किसानों के नलकूप बिजली से चलते है वह किसान भी महंगे बिजली के बिल और ग्रामीण अंचलों में अघोषित बिजली कटौती की समस्या के चलते अपनी फसल को समय से पानी नही दे पाता , वही दूसरी ओर छुटभैया किसान तो अब किसानी करने के बारे में सोच कर ही पसीना पसीना हो जाते है , क्योकि की उन्हें फसलो को सीचने के लिए पानी ही नही मिल पा रहा है । और उनकी जमीन पानी के अभाव में परती पड़ी रह जाती है , और धीरे धीरे उपजाऊ जमीन बंजर में तब्दील होती चली जा रही है और छुटभैया किसान मजदूरी करने को विवश है , ताकि वो अपने परिवार का पेट भर सके । वही दूसरी ओर नहर विभाग के जिम्मेवारो की उदासीनता के चलते और नहरोकी साफ सफाई न होने के कारण माइनरों से धूल उड़ रही है , और जिम्मेवार सिर्फ कागजों पर पानी दे रहे है ये आरोप क्षेत्रीय किसानों ने जिम्मेवारो के ऊपर लगा अपनी अपनी किस्मत कोस रहे है , वही सरकारी तंत्र भी सिर्फ किसानों की खुशहाली लिए बड़ी बड़ी बातें और कोरे आस्वाशन ही दे किसानों को तसल्ली देते नही थकते , और इन सबसे से अलग राजनेता भी किसानों को चुनावी सभावो में बड़े बड़े सपने दिखा कर सिर्फ अपना वोट बैंक पक्का कर लेते है , और चुनाव के बाद किसानों के खेतों को सीचने के लिए नहरो में कितना और किस हद तक पानी हेड से लेकर टेल तक पहुचता है , इसकी जमीनी हकीकत कोई भी किसानों के बीच पहुच ग्रामीण इलाकों में देख और समझ सकता है , वही दूसरी ओर जल संसाधनों के अभाव में देश का अन्नदाता किसान धीरे धीरे भुखमरी की कगार की ओर अग्रसित है , और जिम्मेवार है कि अपनी जम्मेवारियो का निर्वहन करने को तैयार ही नही है , भला ऐसी सूरत में देश का अन्नदाता किसान करे तो क्या करे ।।
मोहम्मद सालीम ,मोहनलाल गंज

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