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करोड़ों के टैण्डर में घोटाला करने वाली कंपनी को फिर मिला पुस्तकें छपाई का काम

यूपी बेसिक एजुकेशन प्रिंटर्स एसोसिएशन ने लगाया आरोप
रंजीव ठाकुर
लखनऊ । बेसिक शिक्षा विभाग में छात्रों को किताब देने का नाम पर 300 करोड़ के टैण्डर में घोटाला किया गया है। विभाग ने इस साल टैण्डर का आधे से भी ज्यादा काम उस बुरदा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को दिया है जिसे 1 वर्ष पूर्व इलाहाबाद के जिलाधिकारी ने ब्लैक लिस्ट करने की संस्तुति शासन को दी थी । यह आरोप गुरुवार को प्रेस वार्ता के दौरान यूपी बेसिक एजुकेशन प्रिंटस एसोसिएशन ने लगाये। एसोसिएशन के उपाध्यक्ष विवेक बंसल ने बताया की अधिकारियों ने ना सिर्फ मनमानी कर के किसी कंपनी को टैण्डर में शामिल होने दिया बल्कि बुरदा कम्पनी को  टैण्डर भी थमा दिया। पिछले साल उसी कंपनी ने न सिर्फ दिसंबर तक किताबों की सप्लाई की थी बल्की मानक से घटिया कागज भी इस्तेमाल किया था और ये बात डीएम इलाहाबाद की रिपोर्ट में शामिल थी। उन्होनें कहा कि गौर करने वाली बात यह है की इसी 9 मई 2017 को निदेशक बेसिक शिक्षा सर्वेंद्र विक्रम सिंह ने इस कंपनी को टैण्डर ना देने की संस्तुति शासन की से की थी। एसोशिएसन के वाइस प्रेसिडेंट विवेक बन्सल ने कहा कि बुरदा कम्पनी का रेट काफी अधिक है जिससे विभाग को लगभग 55 करोड़ रुपए का नुकसान होगा लेकिन शासन में ऐसी कंपनी से मोलभाव कर टैण्डर देने को को कहा और निदेशक ने यह भी कहा कि इस साल मात्र 13 कंपनियां हैं और इतने कम समय में वह किताबें नहीं दे पाएंगे इसलिए फिर से टैण्डर कराया जाए लेकिन बाद में इनके द्वारा अपने ही प्रस्ताव को बदल दिया गया । गत 23 मई को निदेशक ने भी इस कंपनी को तरफदारी शुरू कर दी और सब ने मिलकर इस कंपनी को टैण्डर थमा दिया ।  बुरदा ड्रक इंडिया प्राइवेट लिमटेड कंपनी को पिछले साल बेसिक शिक्षा विभाग ने करीब 15 करोड़ की पेनाल्टी भी लगाने की संस्तुति की थी । उन्होनें कहा कि इससे पीछे तर्क दिया था कि कंपनी से मोलभाव के बाद कम रेट करवाये गए थे । इस साल भी रेट कम तो करा लिए गए लेकिन तय है कि किसी भी हाल में कंपनिया इतने कम समय मे किताबो की सप्पलाई नही कर पाएगी । एक बार फिर इसी मोलभाव के नाम पर उनकी करोड़ो की पेनाल्टी माफ कर दी जाएगी । मुख्यमंत्री सीएम योगी आदित्यनाथ ने 15 जुलाई तक किताबे देने को कहा है और 19 मई को विधानसभा सत्र में भी ये बात कही थी । बेसिक शिच्छा विभाग ने किताबे छपने के लिए 90 दिन का समय दिया है । इसके बाद ग्रेस पीरियड भी दिया जाता है । ऐसे में सितम्बर, अक्टूबर से पहले बच्चो को किताबे नही मिल सकती । कैग की रिपोर्ट में भी आया कि पिछले सत्र में 97 लाख बच्चो को किताबें नही मिली है । उस समय टैण्डर का 90 प्रतिशत काम इसी कंपनी बुरदा ड्रक इंडिया प्राइवेट लिमटेड के पास था । बन्सल ने कहा कि ये भी सवाल उठता है कि विभाग ने किताबों का पूरा पैमेंट किया फिर आधी से अधिक किताबो की सप्लाई क्यों नही हुई है ? बन्सल ने कहा कि इन किताबो के नाम पर 125 करोड़ से ऊपर किस किस की जेब में गये है और जिस तरह नौनिहालों के भविष्य से पिछले साल खिलवाड़ किया गया वैसे ही इस साल भी होना तय है।

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