ना सुरक्षा की चिंता, ना मानकों का ख्याल ,ये है डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में हो रहे निर्माण कार्यों का हाल
बी.एन पाण्डेय
फ़ैज़ाबाद | वर्तमान कुलपति प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने अपने कार्यकाल की शुरुआत में ही घोषणा की थी कि विश्वविद्यालय को अनंत उचाईयों तक ले जाएंगे।शायद इसी कारण विश्वविद्यालय के हर निर्माण कार्य में इस्तेमाल होने वाली सामग्री में सीमेंट और सरिया कम डालते हैं ठेकेदार ताकि विश्वविद्यालय को ऊंचाई तक जाने में दिक्कत ना हो।यही कारण है कि आपको विश्वविद्यालय में अक्सर निर्माण कार्य होते दिखेंगे पर उन निर्माण कार्यों की गुणवत्ता क्या है या आने वाले कल में निर्माण कार्यो का भविष्य क्या होगा ,ये विश्वविद्यालय के इस निर्माणाधीन द्वार ने अपने शुरुआत में ही सिद्ध कर दिया है।सटरिंग के खुलते ही लटके हुए इस द्वार ने निर्माण कार्यों की कलई खोल कर रख दी है। खुले आम लूट मची है विश्वविद्यालय में और जिम्मेदारान को फुरसत ही नहीं कि निर्माण कार्यों पर नजर रखी जाए।कमाल तो यह भी है कि रोज सोशल मीडिया पर विश्वविद्यालय के मुआयने की तस्वीर डालने वाले कार्यपरिषद सदस्य को भी द्वार नहीं दिखा।निर्माण के लिए स्वीकृत सामग्री से इतर मात्र 3 सूत की सरिया डाल कर इतने बड़े गेट के लिंटर बनाते समय किसी ने निरीक्षण क्यों नहीं किया? अगर सांचो के खुलते ही लिंटर लटक गया (जिसे आनन फानन में ठेकेदार द्वारा पर्दा लगाकर तोड़वाया गया) तो आने वाले कल में यदि कोई दुर्घटना हुई तो जिम्मेदार किसकी होगी? ये इतनी ही सरिया है जिसके सहारे इतने बड़े गेट का लिंटर टिकने का भरोषा था ठेकेदार को।प्रतीक्षा कीजिये किसी बड़ी दुर्घटना की।