रिपोर्ट–विवेक जायसवाल
मनियर (बलिया)।मनियर स्थित नवका ब्रह्म एवं शतगु ब्रह्म के मंदिर पर नवरात्र में भक्तों के आने जाने का सिलसिला जारी है ।इन स्थानों पर भौतिक दुखों से छुटकारा पाने के लिए यूपी ही नहीं बिहार ,पश्चिम बंगाल, सहित देश के हर प्रांत के लोग अपनी अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए पहुंचते हैं। लोगों का मानना है कि इन स्थानों पर आने से उनकी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है ।मनियर के नवका ब्रह्म की उत्पत्ति के विषय में एक पुरानी कहावत प्रचलित है कि बिहार प्रांत के सीवान जनपद अंतर्गत चैनपुर गांव में ब्राम्हण परिवार में रामशरण चौबे एवं शिव शरण चौबे जुड़वा भाई पैदा हुए थे ।एक कहावत है कि ‘होत बिरवान के चिकने पात ‘ठीक वैसे ही दोनों भाइयों की स्थिति थी ।गरीब परिवार में पैदा होने के बावजूद दोनों भाई शरीर से हट्ठे कट्ठे थे ।वे बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे ।उनके ललाट पर तेज स्पष्ट झलकता था ।गरीबी के कारण दोनों भाई जीविका चलाने के लिए मजदूरी करते थे ।वे बगल के गांव के एक राय साहब जमींदार के यहां रह कर स्थाई रूप से मेहनत मजदूरी करने लगे। राय साहब के घर के बगल में एक बुढ़िया थी जो डायन थी। एक दिन दोनों भाइयों को भोजन पर आमंत्रित कर भोजन कराते समय मारण मंत्र से उन्हें मारकर उनकी आत्मा एक डिबिया में बंद कर दी ।इधर राय साहब दोनों भाइयों की काफी खोजबीन की लेकिन कहीं उनका पता नहीं चला ।कुछ दिनों बाद बुढ़िया डायन की लड़की की शादी मनियर तय हुई ।शादी कर बुढ़िया की लड़की दुल्हन के रुप में मनियर आ रही थी कि बुढ़िया ने अपनी बेटी को समझाते हुए दोनों आत्माओं से क़ैद डिबिया को दिया कि इसे नदी में फेंक देना लेकिन नाव बारातियों से खचाखच भरे होने के कारण उसकी बेटी डिबिया नहीं फेंक पाई ।उसे ससुराल लाकर हाथ से पीसने वाली अट्टा चक्की के नीचे गाड़ दी।कई साल बीत गए ।वह नववधू से बुढ़िया हो चुकी थी कि एक दिन अट्टा चक्की टांगते समय दोनों आत्माएं आजाद हो गई और घर में ब्रह्म लुक (आग )लग गई ।घर धू-धू कर जलने लगा ।आकाश से चित्कार के साथ मांस के टुकड़े व रक्त गिरने लगे। पूरा परिवार भयभीत हो गया ।तब जाकर एक तांत्रिक के पास परिवार के लोग गए जो दोनों आत्माओं को गुरु मंत्र देने के बाद पिंड के रूप में स्थापित किए। कुछ दिनों बाद बिहार प्रांत का ही एक जमींदार लाव लश्कर के साथ गंगा स्नान करने जा रहा था कि उसी स्थान के पास अपना पड़ाव डाला तथा नदी के तालाब में स्नान किया तो उसे स्फूर्ति महसूस हुई। वह कुष्ठ रोग से ग्रसित था उसका रोग ठीक हो गया ।वह लोगों से पूछताछ किया तो उस पिंड के विषय में जानकारी मिली और उसने वहां बहुत बड़ा विशाल मंदिर बनवा दिया ।तभी से लोग आते गए उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती गई ऐसा लोगों का मानना है।