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विद्यालयों में शारीरिक दंड समाप्त करने हेतु राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा कार्यशाला का आयोजन

लखनऊ । शिक्षा का अधिकार अधिनियम -2009 की धरा17 जो कि विद्यालयों में छात्रों को मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताङित करने को बंद करता है के प्रति शिक्षकों और स्कूल प्रबंधकों को जागरूक करने के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्ष आयोग(एनसीपीसीआर) की ओर से क्षत्रपति शाहू जी महाराज शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान भागीदारी भवन लखनऊ में दिनांक  10अगस्त 2018 को एक दिवसीय अभिमुखी कार्यशाला का आयोजन किया गया है । जिसमे शिक्षकों स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों को जागरूक करने का निर्णय लिया है ताकि ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके जिससे बच्चे के शारीरिक व मानसिक विकास पर बुरा असर न पड़े। इस कार्यक्रम के आयोजन में उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद् उत्तर प्रदेश एससीईआरटी तथा उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी अपना सहयोग दिया। इस कार्यशाला को प्रभावी बनाने के लिए स्कूल शिक्षा के क्षेत्र से जुडी कई जानी मानी हस्तियों को आमंत्रित किया गया साथ ही करीब 200 शिक्षक विद्यालय प्रबंधक तथा शिक्षा विभाग के सम्बंधित अधिकारीयों ने हिस्सा लिया जिन्हे शारीरिक दंड पर रोक लगाने के लिए उनकी भूमिका से अवगत कराया गया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्यअतिथि श्री जावेद मलिक सदस्य राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शिक्षा निगरानी समिति मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार ने बच्चों के मनोविज्ञान से संबंधित जरूरी बातें साझा की और शारीरक दन्ड के दुष्परिणाम पर विस्तृत चर्चा की, उन्होंने यह भी बताया कि कैसे बच्चों के साथ सकारात्मक व्यवहार के जरिये शिक्षण को प्रभावी बनाया जा सकता और छात्रों को बिना प्रताड़ित किये भी सही दिशा दिखाई जा सकती है ।जावेद मलिक ने कहा कि केंद्रीय मंत्री श्रीमती मेनका गांधी ने Posco eBox क्लास एक से हाइस्कूल तक के स्कूलों में लगाने व “कोमल वीडियो” दिखाने का आदेश कर चुकी हैं , जावेद मलिक ने  कार्यशाला में आये हुए सभी प्रतिभागियों से शारीरिक दण्ड को समाप्त करने के लिए सहयोग अपील की जिससे राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग में आने वाली शिकायते कम हो कि बच्चों में शिक्षकों के प्रति भय समाप्त हो। एनसीपीसीआर की ओर से तकनिकी विशेषज्ञ परेश शाह ने शारीरिक दंड के सम्बन्ध में कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों को जरूरी जानकारी दी और इसके नुकसान व भावी पीड़ी पर इसके दुष्प्रभाव के बारे में विस्तृत प्रस्तुति पेश की।  उन्होंने इस कार्यशाला के आयोजन की जरूरत और शारीरिक दंड के प्रति जागरूकता के सम्बन्ध में जरूरी बातें साझा की।  इसके साथ ही विद्यालयों में शारीरिक व मानसिक उत्पीड़न के सम्बन्ध में पाक्सो एक्ट के प्रावधानों से अवगत कराया। कार्यशाला में श्रीमती ललीता प्रदीप सहायक निदेशक बेसिक शिक्षा उत्तर प्रदेश सरकार ने शारीरिक दण्ड व मानसिक प्रताड़ना के संबंध में कानूनी प्रावधानों से प्रतिभागियों को अवगत कराया जिससे शिक्षक किसी भी अप्रिय स्तिथि में खुद को और छात्रों को सुरक्षित रख सके, इस दौरान शारिरिक दण्ड देने के संबंध में जेजे एक्ट 2015 की धारा 75 व 82 के बारे में भी बताया गया जिनके अनुसार ऐसा करने वाले शिक्षकों को सजा का प्रावधान है। इस अवसर पर डॉ अंशुमली शर्मा ओएसडी एनएसएस सेल उच्च शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश सरकार व अजय कुमार सिंह संयुक्त निदेशक SCERT , श्रीमती डॉ0 गीतांजलि (साइकोलॉजिस्ट) दिल्ली ने भी संबोधित किया ।

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