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69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों ने सुप्रीम-कोर्ट के आदेश के बाद केशव मौर्य का आवास घेरा

लखनऊ। 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थी आज लखनऊ में प्रदर्शन करने पहुंचें हैं। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के आवास का घेराव कर रहे हैं। नई सूची जारी करने की मांग को लेकर ओबीसी-एससी अभ्यर्थी, डिप्टी सीएम से एक सप्ताह पहले भी मिले थे। डिप्टी सीएम ने उन्होंने न्याय का भरोसा दिया था। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सामान्य वर्ग के चयनित सुप्रीम कोर्ट गए थे, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए सभी पक्षों को नोटिस जारी किया। मामले की सुनवाई 23 सितंबर को है।प्रदर्शन कर रहे विजय यादव कहते हैं कि हाई कोर्ट की डबल बेंच का निर्णय आने के बाद से हम नई लिस्ट जारी करने की मांग कर रहे हैं। हमें पता है कि विभागीय अफसर मामले को लटकाना चाहते हैं। इसी बात का डर था कि कोर्ट में मामला फंसा तो हमारी नियुक्ति टल जाएगी। जिस बात का डर था, वो सही साबित हुआ। जो हमारा वोट पाकर बड़े नेता बने, वो आज हमसे मिलने तक तैयार नही हैं। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य आवास के अंदर हैं पर हम लोगों को बताया जा रहा है कि वो बाहर गए हैं। ऐसे में अब किससे उम्मीद की जाए? हम हमने फैसला कर लिया है कि हर रोज सड़कों पर उतरेंगे। ये प्रदर्शन जारी रहेगा। जब तक हमें हमारा हक और अधिकार नही मिलता तब तक हम शांत नही बैठेंगे।प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थी कृष्णकांत कहते हैं कि कल हमारी सुप्रीम कोर्ट में डेट लगी हुई थी। सरकार का इस पूरे मामले में जो रवैया हैं वो बेहद निंदनीय हैं। पिछड़े और दलित वर्ग के साथ सरकार की सिर्फ यही हिस्सेदारी है, कि सरकार उनका वोट लेती रहे पर उनका साथ नहीं देगी। पिछली बार जब हम लोग केशव प्रसाद मौर्य जी से मिले थे तो उन्होंने कहा था कि आपके पक्ष में त्वरित कार्रवाई आदेश दिया गया, क्या त्वरित आदेश का मतलब यही होता हैं कि 4 साल तक सड़कों पर संघर्ष करने के बाद, जब हाईकोर्ट से निर्णायक आदेश दिया गया तो उसको भी समय से अमल में नही लाया गया। पूरे मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाकर फंसा दिया जाता हैं। अब अगली सुनवाई 23 सितंबर को होनी है, ऐसे में हमारी सरकार से मांग हैं कि सुप्रीम कोर्ट में सरकार हम लोगों के पक्ष में जोरदार पैरवी करे। आखिर हम उन लोगों से कैसे मुकाबला कर सकते हैं जो पिछले 4 साल से नौकरी कर रहे हैं। उनके पक्ष में लाखों फीस लेने वाले वकील सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कर रहे हैं, जबकि हमारे पास संसाधनों की कमी हैं। ऐसे में हम कैसे में उनके खिलाफ ये लड़ाई लड़ पाएंगे। सरकार को हमारे पक्ष में खड़ा होना पड़ेगा।

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