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लविप्रा अधिकारियों के संरक्षण में सील तोड़कर मानकों के विपरीत अवैध निर्माण कराने में प्रवर्तन जोन नंबर एक

सील तोड़कर मानकों के विपरित निर्माण रोकने का जिम्मा पुलिस प्रशासन का – लविप्रा के जिम्मेदार अधिकारी
लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण प्रवर्तन अधिकारियों के संरक्षण में सील तोड़कर मानकों के विपरीत अवैध निर्माण कराने में प्रवर्तन जोन 1 नम्बर पर हैं। प्रवर्तन जोन 1 में सील तोड़कर लगातार नियम विरुद्ध निर्माण कराने का खेल होरहा हैं। सील तोड़कर मानकों के विपरित निर्माण होने पर लखनऊ विकास प्राधिकरण के जिम्मेदार अधिकारी पूर्ण जिम्मेदारी पुलिस प्रशासन की बताकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं।ऐसा ही प्रकरण थाना विभूति खण्ड क्षेत्र में बी 78 में 98 ए के सामने विभूति खण्ड गोमतीनगर पर सील तोड़कर नियम विरुद्ध निर्माण बनकर तैयार होने को हैं।

उपाध्यक्ष लविप्रा के संज्ञान में होने के बावजूद भी बेखोंप मानकों के विपरीत निर्माण कर्ता द्वारा सील तोड़कर लगातार मानकों के विपरीत प्रवर्तन विभाग में मानकों के विपरीत निर्माण कराने का खेल जारी हैं।
सील हुए मानकों के विपरीत निर्माण का कार्य रुकवाने की जगह नए जेई आशीष कुमार श्रीवास्तव भी बिल्डर से मिले हैं। श्री श्रीवास्तव बता रहे हैं कि पुराने जेई ने कराया है मानकों के विपरीत निर्माण, बस यह गैर जिम्मेदाराना जवाब देकर अपना कर्तव्य पूरा कर दिया। जब सील होने के बाद पुलिस द्वारा की गई कार्यवाही पर जानकारी ली गयी तो उन्होंने कहा कि अवैध निर्माण सील होने के बाद पुलिस की अभिरक्षा में दिए जाने के बाद पूर्ण जिम्मेदारी पुलिस की होती हैं। जब श्री श्रीवास्तव से पूछा गया कि सील बिल्डिंग में निर्माण कार्य न रुकने पर प्राधिकरण ने पुलिस के खिलाफ क्या कार्यवाही ही तो उन्होंने जवाब में कुछ नही बोला।
सूत्रनुसार इस प्रकरण में पूर्व ए ई शिवा सिंह व जे ई सत्यवीर सिंह के विरुद्ध शासन से वैधानिक जांच आयी थी ।


फिर भी उपाध्यक्ष इंद्रमणि त्रिपाठी के नाक के नीचे सील तोड़कर चलता रहा दूषित कार्यशैली का दूषित खेल और वर्तमान जे ई की क्षत्र छाया में एक और स्लिप पड गयी।
जब विहित/जोनल अधिकारी से उक्त प्रकरण में जानकारी ली गयीं तो उन्होंने असंतोष जनक जवाब देते हुए अपने को उक्त प्रकरण से अनजान बताते हुए शीघ्र ही कार्यवाही करने का आश्वासन दिया । परंतु अभी तक सील तोड़कर हो रहे मानकों के विपरीत निर्माण को नही रोक पायीं जो बहुत ही अफसोस का विषय हैं।
आखिर विकास प्राधिकरण प्रशासन व पुलिस प्रशासन से कहाँ चूक ? सील होने के बाद पुलिस अभिरक्षा में होते हुए कैसे हो रहा है मानकों के विपरीत यह निर्माण ? क्या प्राधिकरण द्वारा सील करने के बाद मानकों के विपरीत निर्माण को पुलिस अभिरक्षा में देना मात्र एक जुमला हैं ?
सील तोड़कर मानकों के विपरीत उपाध्यक्ष के संज्ञान में होते हुए निर्माण जारी रहना किसको दोषी साबित करता हैं ? उपाध्यक्ष प्राधिकरण ,अवर अभियंता, सहायक अभियंता या पुलिस प्रशासन जिसकी अभिरक्षा में सील होने के बाद मानकों के विपरीत निर्माण को प्राधिकरण द्वारा सौपा गया था। देखना अब यह हैं कि उक्त मानकों के विपरीत सील तोड़कर कराए जा रहे निर्माण को उपाध्यक्ष लखनऊ विकास प्राधिकरण तुरंत कार्यवाही करके के पुनः सील करके ध्वस्तीकरण आदेश करते है या उक्त मांनकों के विपरीत अवध निर्माण करने के लिए अभयदान।

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