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गांधी परिवार अमेठी के चुनावी समर में नही

25 साल बाद अमेठी सोनिया के सिपहसालार किशोरी लाल के हवाले
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की हाईप्रोफाइल सीट अमेठी सीट गांधी परिवार की परंपरागत सीट मानी जाती है। 1999 के बाद से अमेठी के सियासी रण से गांधी परिवार हर बर मैदान में था लेकिन 25 साल बाद ऐसा मौका होगा जब कोई गांधी परिवार से प्रत्याशी नहीं होगा।आज जारी दावेदारों की सूची में अमेठी से किशोरी लाल शर्मा का नाम घोषित हुआ है। इसको लेकर सियासी माहौल बदल गया है। 1999 में सोनिया गांधी ने अपना पहला चुनाव अमेठी से लड़ा था। सोनिया गांधी ने 2004 में सीट बेटे के लिए छोड़ दी। राहुल गांधी 2004, 2009, 2014 में चुनाव जीते लेकिन 2019 में भाजपा की स्मृति ईरानी से चुनाव हार गए। 1998 में इस सीट से गांधी परिवार के करीबी कैप्टन सतीश शर्मा चुनाव लड़े थे। उसके बाद से लगातार यह सीट गांधी परिवार के लिए आरक्षित रही है। अमेठी में कांग्रेसी राहुल गांधी के चुनाव लड़ने की मांग कर रहे थे। दिल्ली तक पैरवी की गई लेकिन आज जारी सूची में सोनिया गांधी के प्रतिनिधि किशोरी लाल शर्मा के नाम का एलान हुआ है। 1976 में गांधी परिवार ने अमेठी में दस्तक दी थी। संजय गांधी ने यहां पर पहुंच कर श्रमदान करके सियासी भूमि तैयार की।1977 के पहले चुनाव में काग्रेंस के संजय गांधी चुनाव हार गए थे। 1980 में वह चुनाव जीते लेकिन उसी साल विमान हादसे में उनका निधन हो गया। इसके बाद उपचुनाव में राजीव गांधी ने राजनीतिक पारी शुरू की। 1984, 1989, 1991 में राजीव गांधी लगातार जीते। 1984 में राजीव गांधी का सियासी मुकाबला छोटे भाई की पत्नी मेनका गांधी से हुआ।राजीव गांधी के निधन के बाद हुए उपचुनाव में 1991 में कैप्टन सतीश शर्मा ने चुनाव लड़कर जीत हासिल की। वह राजीव गांधी के करीबियों में शामिल थे। 1996 में भी चुनाव जीते लेकिन 1998 में हार गए। 1998 में भाजपा के संजय सिंह ने जीत दर्ज की थी।अमेठी के सांसद 1967 और 1971 में विद्याधर बाजपेई कांग्रेस जीते।1977 रवींद्र प्रताप सिंह भारतीय लोक दल,1980 संजय गांधी कांग्रेस, 1981 ,1984 , 1989 और 1991में राजीव गांधी कांग्रेस,1991 और1996 में सतीश शर्मा कांग्रेस, 1998 में संजय सिंह भाजपा,1999 में सोनिया कांग्रेस ,2004, 2009 और 2014 में राहुल गांधी कांग्रेस तथा 2019 में स्मृति जूबिन इरानी भाजपा चुनकर संसद पहुंची।

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