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अयोध्या में ही हार गई बीजेपी,अवधेश प्रसाद जीते

अयोध्या के दम पर बीजेपी ने पूरे देश में फूंका था जीत का बिगुल
सपा की रणनीति के आगे नही टिक पाये लल्लू
लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम बेहद चौंकाने वाले आये हैं। उत्तर प्रदेश के जिस अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के जरिए बीजेपी ने पूरे देश में चुनावी माहौल को हवा दी, उसी अयोध्या में बीजेपी अपनी प्रतिष्ठा नही बचा पाई। अयोध्या में बीजेपी की हार का दूर तलक संदेश गया है। सपा के अवधेश प्रसाद 31800 मतों से विजयी हुए हैं।अयोध्या के दम पर बीजेपी ने पूरे देश में जीत का बिगुल फूंका था।अयोध्या से बीजेपी प्रत्याशी लल्लू सिंह का सपा के अवधेश प्रसाद ने पराजित कर नया इतिहास रच दिया है। सामान्य सीट पर अनुसूचित जाति से आने वाले अवधेश प्रसाद ने जीतकर रिकार्ड बना दिया है। अयोध्या में राममंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के जरिए देश में चुनावी माहौल बनाया था। 22 जनवरी को राममंदिर में रामलला की भव्य प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी जिसमें देश विदेश के हजारों नामचीन हस्तियों ने शिरकत की थी। बीजेपी ने प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को भव्यता देते हुए एक तरह से चुनाव का आगाज किया था। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पहले पीएम मोदी ने 30 दिसंबर को यहां एक भव्य रोड शो भी किया था। इसके अलावा बीती 5 मई को भी वोटिंग से पहले पीएम मोदी ने सीएम योगी के साथ यहां एक और मेगा रोड शो के जरिए वोटर्स को लुभाने का काम किया था। अब सवाल यह उठता है कि इतना सब होने और करने के बावजूद भी फैजाबाद लोकसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी लल्लू सिंह क्यों हारे हैं? सियासी पंडितों का मानना है कि लल्लू सिंह हार के सबसे ज्यादा जिम्मेदार वह खघ्ुद हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक लल्लू सिंह के संविधान बदलने वाले बयान ने उन्हे भी नुकसान पहुंचाया है। हार का दूसरा कारण यह है कि स्थानीय लोगों के मुताबिक लल्लू सिंह शहर को छोड़ दें तो क्षेत्र में बहुत कम दिखाई दिए। इस चुनाव में बीजेपी ने तीसरी बार लल्लू सिंह पर भरोसा जताया था, जबकि दूसरी तरफ सपा ने 9 बार के विधायक और दलित चेहरे अवधेश प्रसाद पर दांव लगाया। फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र में पांच लाख से भी ज्यादा दलित वोटर है। जिसे सपा दलित चेहरे के जरिए काफी हद तक अपने पक्ष में करने में कामयाब रही है। फैजाबाद लोकसभा सीट पर लल्लू सिंह ने 2014 में 2,82,775 वोटों के अंतर से विजयश्री हासिल की थी। इसके बाद 2019 के चुनाव में यह अंतर कम होकर महज 65 हजार शेष रह गया था। जबकि 2019 चुनाव से ठीक पहले राममंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका था। इसके बावजूद लल्लू सिंह को 5,29,021 वोट मिले थे, तो वहीं सपा प्रत्याशी ने 4,63,544 वोट हासिल किए थे। इन चुनावों में कांग्रेस के निर्मल खत्री भी 53, 383 वोट पाने में कामयाब रहे थे।

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