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2024 का जनादेशः मन्दिर-मस्जिद के नाम पर नही चलेगी सियासत !

अयोध्या मंडल की बीजेपी के खाते में कोई सीट नही
लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा के नाक की सीट रही फैजाबाद सीट जीतकर सपा ने भाजपा के राम मंदिर मुद्दे को फेल कर दिया है। 2024 के जनादेश ने साफ संकेत दे दिया है कि अब मन्दिर मस्जिद के नाम पर राजनीति नही चलने वाली है। जनता को कम चाहिए, विकास चाहिए, महंगाई से निजात चाहिए, फसल का वाजिब दाम चाहिए, बच्चों को अच्छी पढ़ाई चाहिए, अस्पताल में बीमार को दवाई चाहिए।अब भविष्य में होने वाले चुनावों की दिशा बदलते हुए संकेत दिया है कि अब यहां राम मंदिर मुद्दा नहीं बचा है। चुनावों में फतह के लिए जनहित के मुद्दों पर बात होनी चाहिए। सुप्रीमकोर्ट के फैसले के बाद पांच अगस्त, 2020 को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के भूमिपूजन के साथ ही 2024 के आम चुनावों की भी भाजपा ने नींव डाल दी थी। अयोध्या आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुद्दे को ताजा करते रहे हैं। 22 जनवरी को मंदिर के उद्घाटन और प्राण प्रतिष्ठा के बाद से ही देश के कोने-कोने से नेताओं को अयोध्या लाकर इस मुद्दे की गर्माहट बरकरार रखने की कोशिश हुई, लेकिन जनता ने नकार दिया। भाजपा सिर्फ फैजाबाद ही नहीं हारी बल्कि मंडल की सभी सीटें व पूर्वांचल की कई अन्य प्रमुख सीटें भाजपा के हाथ से निकल गईं। इस फैसले ने भविष्य में होने वाले चुनावों को एक नई दिशा दे दी है। अब जनादेश के लिए मंदिर-मस्जिद की राजनीति काम नहीं आएगी बल्कि अन्य मुद्दों पर भी गौर करना होगा। विपक्षी नेताओं का कहना है कि जनता ने भाजपा के राममंदिर कार्ड को महज छह माह में ही नकार दिया है। भविष्य में यह मुद्दा भाजपा नहीं भुना सकेगी। इंडिया गठबंधन ने लोकसभा चुनाव में अयोध्या फतह के लिए बड़ा प्रयोग किया। फैजाबाद सामान्य सीट है। आमतौर पर हर लोकसभा चुनाव में अगड़े और पिछड़े के बीच समीकरण साधा जाता रहा है। पिछली बार भाजपा से लल्लू सिंह थे तो सपा ने आनंदसेन यादव को प्रत्याशी बनाया था। बाजी भाजपा के हाथ लगी थी।इस बार सपा ने रणनीति बदली। हमेशा की तरह पिछड़े और सामान्य जाति के उम्मीदवार उतारने के बजाय दलित उम्मीदवार उतारा।अवधेश प्रसाद पासी बिरादरी से आते हैं। इस सीट पर पासी बिरादरी के करीब डेढ़ लाख वोट हैं। इस क्षेत्र में कुर्मी और निषाद भरपूर हैं।पासी की तरह ही ये दोनों जातियां भाजपा अपना वोट बैंक मानी रही। सपा ने अगल-बगल की सीटों पर सियासीसमीकरण साधे। बस्ती व अंबेडकरनगर में कुर्मीउम्मीदवार उतारा तो सुल्तानपुर में निषाद बिरादरी का उम्मीदवार उतार कर इन जातियों को गोलबंद किया।1957 के बाद पहली बार फैजाबाद सीट पर अनुसूचित जाति का सांसद बना। दो बार के भाजपा सांसद लल्लू सिंह सपा के मिल्कीपुर विधायक अवधेश प्रसाद से 55 हजार वोटों से हार गए।फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र में आने वाले पांच विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा का चार पर कब्जा है, मिल्कीपुर से अवधेश प्रसाद विधायक रहे। भाजपा राममंदिर उद्घाटन और बन रहे कॉरिडोर से उत्साहित थी। पार्टी ओवर कांफिडेंस में रहे। इस पर तो ध्यान ही नहीं दियाश्उजड़ा हजारों को,बसाया किसकोश्।भाजपा ने अयोध्या में विकास कार्य कराए। वह अयोध्या ही नहीं समूचे देश में राम मंदिर उद्घाटन और वहां हुए कार्यों को सियासी पतवार के रूप में देख रही थी, अंदरखाने जो चल रहा था,उधर ध्यान ही नही था। अयोध्या में एक बड़ा हिस्सा ऐसा भी था, जो विकास के नाम पर उजाड़े जाने से खिन्न था। इस विकास की कीमत उन्हें चुकानी पड़ रही है। व्यापारी बार-बार अधिग्रहण और मुआवजा का मुद्दा उठा रहे थे। जगह-जगह पर बैरिकेडिंग, पुलिस बंदोबस्त, रूट डायवर्जन और वीआईपी कल्चर से खिन्न थे। सांसद ने उनकी तकलीफ की अनदेखी और अनसुनी की।अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के कुछ दिनों बाद ही फैजाबाद लोकसभा सीट पर भाजपा की हार की देश-दुनिया में चर्चा हो रही है। सोशल मीडिया पर यूजर्स खुलकर अयोध्या की जनता को कोस रहे हैं और नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं। इसे लेकर विजयी प्रत्याशी अवधेश प्रसाद की जान का खतरा बताते हुए सपा नेता ने उनके लिए जेड प्लस सुरक्षा की मांग की।समाजवादी छात्रसभा के राष्ट्रीय महासचिव मनोज पासवान ने प्रदेश के एसीएस गृह को पत्र लिख अवधेश प्रसाद के लिए जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा की मांग की है। पत्र में कहा है कि सोशल मीडिया सहित संचार के माध्यमों में अयोध्या के निवासियों पर असहज करने वाली टिप्पणियां व धमकियां दी जा रही हैं। ऐसे में कभी कोई सुनियोजित अनहोनी या असामान्य घटना हो सकती है। पूर्व में भी इस प्रकार की घटनाएं हो चुकी हैं। अवधेश प्रसाद को सुरक्षा की दृष्टि से जेड प्लस सुरक्षा प्रदान की जाए। लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अपने दम पर प्रदेश की 37 और इंडिया गठबंधन के साथ मिलकर 43 सीटों पर जीत दर्ज कर सभी को चौंका दिया। इस परिणाम से एक तरफ जहां सपा को संजीवनी मिली है वहीं भाजपा की सीटें यूपी में 2019 के मुकाबले काफी कम रह गई हैं। चुनाव से पहले भाजपा नेता यूपी की सभी 80 सीटों पर जीत दर्ज करने का दावा कर रहे थे। फैजाबाद लोकसभा सीट पर बीजेपी की हार ने सभी को चौंका दिया है।इतना ही नहीं, आसपास की भी सीटे बीजेपी के खाते में नही आई हैं।

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